अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एक ओर अपने जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज को AIIMS की तरह बनाने की तैयारी कर रहा है तो वहीं दूसरी ओर यहां का मेडिकल कॉलेज कितना लापरवाह है इसकी बानगी देखने को मिली है. AMU के मॉर्डन इंडियन लैंग्वेज विभाग के चेयरमैन व तमिल के प्रोफेसर को बीमारी के चलते उनके साथियों ने मेडिकल कॉलेज में रविवार को एडमिट कराया. लेकिन मंगलार दोपहर में हालत बिगड़ने के बाद यहां के डॉक्टरों ने उनको लगभग एक बजे दिल्ली के लिए रेफर कर दिया. अब उसके बाद इस कदर लापरवाही शुरू हुई कि प्रोफेसर को अपनी जान गवानी पड़ी.
प्रोफेसर को मेडिकल कॉलेज की तरफ से एंबुलेंस उपलब्ध नहीं कराई गई. लगभग एक बजे से रेफर करने के बाद शाम छह बजे चेयरमैन प्रो. डी. मूर्ति की जेएन मेडिकल कॉलेज में मौत हो गई. उनके साथियों ने बताया की एंबुलेंस के लिए रेफरल फॉर्म ना मिलने पर एक प्लेन पेपर पर एप्लीकेशन लिख कर दे दी गई थी, लेकिन मेडिकल अटेंडेंट स्कीम के डायरेक्टर डॉ अंजुम परवेज ने उसको अस्वीकार कर दिया और फॉर्म भरकर लाने को कहा. इसी देरी के चलते प्रोफेसर ने शाम को यहीं दम तोड़ दिया. उनके विभाग में मेडिकल की इस लापरवाही के चलते गुस्सा है. उनका कहना है की पहले मरीज जरूरी था या फॉर्म.
तमिलनाडु के रंगापुरम क्षेत्र के थिरू वीकानगर निवासी प्रो. डी. मूर्ति यहां 28 साल से तमिल के प्रोफेसर थे. एक अप्रैल को विभाग के चेयरमैन बनाए गए. प्रो. मूर्ति कुछ दिन से पेट की परेशानी से जूझ रहे थे. रविवार को उन्होंने मेडिकल कॉलेज में जांच कराई तो आंत में ब्लॉकेज मिला. प्रो. मूर्ति का ऑपरेशन करने वाले सर्जरी विभाग के चेयरमैन प्रो. एम. असलम ने बताया कि उन्हें आंत का कैंसर था, जो एडवांस स्थिति में था. रविवार रात उनका ऑपरेशन किया गया. सोमवार सुबह उनकी सेहत खराब हो गई, उनकी किडनी ने भी काम करना बंद कर दिया.
इसके बाद से उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर पर रखा गया. किडनी फेल होने पर नेफ्रोलॉजी के डॉक्टरों से सलाह ली गई. उन्होंने कंटीन्युअस थैरेपी की राय दी, जो दिल्ली में होती है. इसके चलते उन्हें दोपहर रेफर करने की बात तय हुई. मेडिकल कॉलेज की व्यवस्था किस तरह की है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जिंदगी और मौत से जूझ रहे प्रो. मूर्ति को दिल्ली रेफर करने के लिए सीएमओ कार्यालय का रेफरल फार्म ही नहीं खोज पाए. एंबुलेंस भेजने की जिम्मेदारी संभाले मेडिसिन के प्रो. अंजुम परवेज के पास सादा कागज पर रेफर करने की बात लिखकर पर्ची भेजी गई, जिसे उन्होंने नियमों का हवाला देकर अस्वीकार कर दिया. उन्होंने अपने घर से रेफरल फार्म दिया, तब तक शाम के छह बज गए. इसके 15 मिनट बाद एंबुलेंस तैयार हुई. तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
AMU प्रशासन ने पूरे मामले में एक कमेटी का गठन कर जांच की बात कही है. लेकिन यहां किस कदर AMU के ही एक विभाग के चेयरमैन के साथ लापरवाही की जाती है वहां आम आदमी के साथ कैसा व्यवहार ये करते होंगे.