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मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव के नामांकन से पहले मिला हैंड ग्रेनेड, मचा हड़कंप

मैनपुरी के पुलिस अधीक्षक अजय शंकर राय ने बताया कि कुछ बच्चे ग्रेनेड तलाब से निकाल लाए थे और सड़क पर फेंक दिया. ग्रेनेड निष्क्रिय बताया जा रहा है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर रहे हैं.

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हैंड ग्रेनेड
हैंड ग्रेनेड

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समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता मुलायम सिंह यादव के नामांकन से पहले मैनपुरी में एक सनसनीखेज घटना देखने को मिली. मैनपुरी के धन्नाहार पुलिस क्षेत्र में एक हैंड ग्रेनेड मिलने से हड़कंप मच गया. जिले के पुलिस अधीक्षक अजय शंकर राय ने इसकी जानकारी दी. एसपी अजय शंकर राय ने बताया कि यह घटना धन्नाहार पुलिस थाने क्षेत्र की है. अभी इस मामले की जांच की जा रही है.

अजय शंकर राय ने बताया कि कुछ बच्चे ग्रेनेड तालाब से निकाल लाए थे और सड़क पर फेंक दिया. ग्रेनेड निष्क्रिय बताया जा रहा है. फिलहाल मामले की जांच की जा रही है. समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव आज उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर रहे हैं. ऐसे में इस तरह की घटना का सामने आना कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. जबकि ऐसे स्थिति में सुरक्षा बंदोबस्त दुरुस्त होना चाहिए. हालांकि किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई.

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गौरतलब है कि मुलायम सिंह यादव आज उत्तर प्रदेश की मैनपुरी लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल कर रहे हैं. 23 साल पहले 1996 में मुलायम सिंह यादव अपने जीवन का पहला लोकसभा चुनाव मैनपुरी सीट से जीतकर ही संसद पहुंचे थे.

मुलायम सिंह यादव को सियासी अखाड़े का बड़ा पहलवान माना जाता है और उनके बेटे अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी की सियासत को उसी राह पर ला दिया है, जिस पर कभी मुलायम सिंह यादव ने अपनी मंजिल पाई थी. बाबरी मस्जिद ढांचा गिरने के बाद मंडल-कमंडल की जो राजनीति शुरू हुई, उसमें मुलायम सिंह यादव ने अपनी नवगठित पार्टी का बहुजन समाज पार्टी से गठजोड़ कर लिया और 1993 का यूपी विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर लड़ा.

मुलायम सिंह की यह तरकीब काम कर गई और वह यूपी के मुख्यमंत्री बने. हालांकि, सपा-बसपा का साथ दो साल भी नहीं चल सका और इसी दौरान लखनऊ गेस्ट हाउस कांड भी देखने को मिला. यूपी की सत्ता हाथ से जाने के बाद मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया और वह यहां से जीत दर्ज करने के बाद केंद्र की राजनीति की अहम धुरी बन गए.

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