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ओम प्रकाश राजभर पर बरसे मंत्री अनिल राजभर, बोले- ओवैसी के चरणों में रख दी अपनी राजनीति

अनिल राजभर ने उपस्थित समाज के लोगो से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि ओम प्रकाश राजभर को जहूराबाद ही नहीं इस भारत की राजनीति से बेदखल कर दो.

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अनिल राजभर
अनिल राजभर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • ओमप्रकाश पर अनिल राजभर का हमला
  • 'राजनीति ओवैसी के चरणों में रख दी'

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के पूर्व सहयोगी मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) के विधानसभा क्षेत्र जहूराबाद के कासिमाबाद तहसील क्षेत्र में शनिवार को योगी कैबिनेट के मंत्री अनिल राजभर (Anil Rajbhar) ने राजभर समाज द्वारा आयोजित महाराजा सुहेलदेव राजभर सम्मान बचाओ यात्रा का शुभारंभ भाजपा का झंडा दिखाकर किया. 

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मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री अनिल राजभर पूरी तरह से ओमप्रकाश राजभर पर हमलावर थे. उन्होंने कहा कि श्रावस्ती (अशोकापुर) चक्रवर्ती हिन्दू हृदय सम्राट महाराजा सुहलदेव राजभर जी द्वारा जिस सालार मसूद गाजी को श्रावस्ती के चित्तौरा मैदान में पराजित किया था.

उन्होंने आगे कहा कि उसी गाजी के मजार पर सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर द्वारा अपने राजनीतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए हाथ मिलाकर असदुद्दीन औवैसी से सलार मसूद गाजी की मजार पर चादर चढ़वा कर ओम प्रकाश राजभर ने समाज के साथ करोड़ों हिंदुओं के साथ महराज सुहलदेव राजभर के कलेजे में जहरीला कटार भोंकने का कार्य किया है. उन्होंने उपस्थित समाज के लोगो से एकजुट होने का आह्वान करते हुए कहा कि ओमप्रकाश राजभर को जहूराबाद ही नहीं इस भारत की राजनीति से बेदखल कर दो.

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उन्होंने कहा, ''श्रावस्ती के चितौरा मैदान में मोदी जी द्वारा महाराजा सुहेलदेव का स्मारक बनाने की घोषणा से राजभर समाज के साथ साथ करोड़ो हिंदुओं में हर्ष व्याप्त है.'' अनिल राजभर ने मंच से ओमप्रकाश राजभर को चुनौती दे डाली कि हिम्मत है तो महाराजा सुहेलदेव के प्रतिमा पर ओवैसी से माल्यार्पण कराके दिखा दो.

उन्होंने इतिहासकारों को भी आड़े हाथों लिया कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया. उन्होंने कहा कि आज समाज अपने को ठगा महसूस कर रहा है. पिछले 18 सालों से राजा सुहेलदेव के नाम पर अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए ओमप्रकाश राजभर ने अपनी राजनीति ओवैसी के चरणों में रख दी है. जिसे सुहेलदेव के वंशज कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे. 

बताते चलें कि ओमप्रकाश राजभर दो दशकों से ज्यादा समय से विभिन्न दलों के साथ मिलकर राजनीति करते आ रहे हैं, लेकिन 2017 चुनावो में वे बीजेपी गठबंधन से पहली बार विधायक और मंत्री बने थे, लेकिन बीते लोकसभा चुनावों से पहले ओम प्रकाश राजभर और बीजेपी की राह अलग-अलग हो गई.

 

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