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अपना दल की अध्यक्ष चुनी गईं अनुप्रिया पटेल, प्रतापगढ़ सीट पर लेना है फैसला

अनुप्रिया पटेल किसी भी सूरत में प्रतापगढ़ सदर सीट को नहीं छोड़ना चाहती हैं. हालांकि बीजेपी के साथ-साथ अपना दल (एस) भी इस सीट पर चुनावी तैयारी में जुटी हुई है.

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अनुप्रिया पटेल (फोटो- ट्विटर)
अनुप्रिया पटेल (फोटो- ट्विटर)

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पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद अनुप्रिया पटेल सोमवार को अपना दल (एस) की राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. उनको ऐसे वक्त में पार्टी की कमान मिली है जब प्रतापगढ़ सीट पर उपचुनाव को लेकर बीजेपी और अपना दल के बीच ठनी हुई है. आज लखनऊ में आयोजित पार्टी के अधिवेशन में वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अनुप्रिया को यह जिम्मेदारी दी गई है.

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में अनुप्रिया को कैबिनेट मंत्री नहीं बनाया गया है. साथ ही उनके पति और पार्टी के अध्यक्ष आशीष पटेल को भी योगी सरकार में जगह नहीं मिल पाई है. लोकसभा चुनाव में अपना दल विधायक संगम लाल गुप्ता ने बीजेपी के टिकट पर प्रतापगढ़ से जीत दर्ज की थी, जिसके बाद यहां की प्रतापगढ़ सदन विधानसभा सीट खाली हो गई है. इस सीट पर उम्मीदवारी को लेकर ही बीजेपी और अपना दल में ठन गई है.

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प्रतापगढ़ सीट पर पेंच

अपना दल के विधायक ने प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत दर्ज की थी. ऐसे में बीजेपी उपचुनाव में यहां से अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. दूसरी ओर संगम गुप्ता पहले यहां से अपना दल के विधायक थे. ऐसे में अपना दल उपचुनाव में प्रतापगढ़ सदर से अपनी पार्टी का उम्मीदवार लड़ाना चाहता है. फिलहाल दोनों दल इस मुद्दे पर चुप हैं, लेकिन दोनों के बीच दांव-पेंच का खेल जारी है.

अनुप्रिया पटेल किसी भी सूरत में इस सीट को नहीं छोड़ना चाहती हैं. हालांकि बीजेपी के साथ-साथ अपना दल (एस) भी इस सीट पर चुनावी तैयारी में जुटी हुई है. अध्यक्ष पद की कमान संभालते के बाद अब अनुप्रिया को इस बारे में जल्द फैसला लेना पड़ेगा, क्योंकि यूपी की 12 विधानसभा सीटों पर जल्द उपचुनाव होने हैं.

लोकसभा चुनाव में योगी सरकार के मंत्रियों समेत कई अन्य दल के विधायकों ने जीत दर्ज की थी. इसके बाद से रामपुर, सहारनपुर की गंगोह, फिरोजाबाद की टूंडला, अलीगढ़ की इगलास, लखनऊ कैंट, बाराबंकी की जैदपुर, चित्रकूट की मानिकपुर, बहराइच की बलहा, प्रतापगढ़ सदर, हमीरपुर और अंबेडकरनगर की जलालपुर सीट खाली हो गई है. इन 12 विधानसभा सीटों में से रामपुर की सीट सपा और जलालपुर की सीट बसपा के पास थी और बाकी सीटों पर बीजेपी और उसके सहयोगी दलों का कब्जा था.

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