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आतंकवादी लखनऊ को भी दे सकते हैं पठानकोट जैसा घाव!

उत्तर प्रदेश की राजधानी में छावनी (कैंटोन्मेंट) के पास सदर इलाके में कुछ दुकानें ऐसी हैं, जहां से आसानी से सेना की वर्दी हासिल की जा सकती है. पठानकोट की तरह लखनऊ में भी आतंकी सेना की वर्दी पहनकर खुलेआम घूम सकते हैं और इसका गलत फायदा उठा सकते हैं.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

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पंजाब के पठानकोट में हुए आतंकवादी हमले के घाव अभी ताजा हैं, लेकिन अगर सेना अब भी नहीं चेती तो आतंकवादी ऐसा घाव लखनऊ को भी दे सकते हैं. पठानकोट में आतंकवादियों ने जिस तरह 'सेना की वर्दी' का इस्तेमाल किया था, उसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या बाजारों में खुलेआम बिक रही सेना की वर्दी पर लगाम लगेगी?

अधिकारियों की मानें तो सेना में अभी ऐसी कोई गाइडलाइन नहीं बनी है, जिससे सेना की वर्दी को खुलेआम बाजारों में बेचे जाने से रोका जा सके.

उत्तर प्रदेश की राजधानी में छावनी (कैंटोन्मेंट) के पास सदर इलाके में कुछ दुकानें ऐसी हैं, जहां से आसानी से सेना की वर्दी हासिल की जा सकती है. पठानकोट की तरह लखनऊ में भी आतंकी सेना की वर्दी पहनकर खुलेआम घूम सकते हैं और इसका गलत फायदा उठा सकते हैं.

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आतंकवादी सार्वजनिक क्षेत्रों के अलावा यहां के प्रमुख प्रतिष्ठानों और रेलवे स्टेशन को भी निशाना बना सकते हैं. सेना के सूत्र बताते हैं कि आम नागरिकों से ऐसे कपड़े न पहनने और दुकानदारों से बिक्री रोकने की अपील भी समय-समय पर जारी की जाती है. सेना ने दुकानों में सैन्य वर्दी की खरीदी-बिक्री के लिए जिलाधिकारी से लाइसेंस जरूरी कर दिया है.

सेना के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर न करने की शर्त पर बताया, 'सेना ही अपनी वर्दी, बूट, टोपी, बैग, स्वेटर व तिरपाल के अलावा अन्य सामान की नीलामी कर उन्हें पब्लिक के लिए उपलब्ध करवा रही है. इसी नीलामी के बूते शहर में सेना के पुराने कपड़ों व वर्दी का बड़ा कारोबार पनप चुका है.'

शहर के सदर बाजार में सेना की वर्दी और वर्दी जैसे दिखने वाले कपड़े कई दुकानों पर उपलब्ध हैं. यहां आधा दर्जन से अधिक थोक और इतने ही फुटकर विक्रेता हैं. सेना की वर्दी के कपड़े का शहर में लाखों रुपये का कारोबार है.

सेना के अधिकारी ने कहा, 'सेना पुराने कपड़ों की बिक्री रोकने पर विचार कर रही है. अभी गाइडलाइन की जानकारी नहीं है. सेना की वर्दी जैसे नए कपड़ों की बिक्री के बारे में भी अभी कुछ स्पष्ट नहीं है.'

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सदर बाजार में सेना के पुराने समानों के एक विक्रेता ने कहा कि सेना पुराने कपड़ों, जूतों व अन्य सामान की बिक्री के लिए टेंडर निकालती है. उसमें जो सामान उन्हें मिलता है, उसी की बिक्री वे करते हैं.

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