कल तक एकला चलो की राह पर चलने का दम भरने वाली आम आदमी पार्टी (आप) के सुर बदलने लगे हैं. कानपुर में जहां पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल कहते हैं कि हमारे बिना सरकार नहीं बनेगी, वहीं आगरा में पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह ने गठबंधन के सवाल पर कहा कि चुनाव के बाद जनता फैसला करेगी.
कारपोरेट को भलाबुरा कहने वाली आप पार्टी ने जब से दिल्ली राज्य की गद्दी छोड़ी है, उसके सुर बदलने लगे हैं. कुछ दिनों पहले पार्टी के नेता केजरीवाल ने स्पष्ट किया था कि वह निजीकरण के विरोधी नहीं हैं. फिर 2 मार्च को कानपुर की रैली में बार बार यह दोहराते हैं कि आप पार्टी सौ सीट लाएगी. उसके बिना सरकार बना पाना मुश्किल है.
यहीं से पार्टी संकेत देने लगी कि गठबंधन का चैप्टर बंद नहीं हुआ है. दूसरे दिन आगरा में पार्टी प्रवक्ता संजय सिंह से जब इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि हम गठबंधन की राजनीति में विश्वास नहीं रखते हैं लेकिन अगले ही पल उन्होंने कहा कि चुनाव से पहले तो किसी के साथ आने का सवाल ही नहीं उठता. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि जब गठबंधन में यकीन नहीं तो चुनाव से पहले या बाद में जैसे वक्तव्यों का क्या जरूरत है?