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RLD का सिंबल, SP का प्रत्याशी, कैराना पर BJP से एकजुट होकर भिड़ेगा पूरा विपक्ष

दोनों दलों के प्रमुखों अखिलेश यादव और अजीत सिंह के बीच शनिवार शाम बातचीत के बाद इस आखिरी फैसले पर मुहर लगी जिसे मुसलमानों और जाटों के बीच नई दोस्ती की शुरुआत के तौर पर इसे देखा जा रहा है.

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अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव (फाइल फोटो)

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लोकसभा उपचुनाव की तर्ज पर एक बार फिर समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में नया महागठबंधन तैयार किया है और 2 सीटों के लिए होने वाले इस विधानसभा उपचुनाव के लिए इस गठबंधन में आरएलडी उसकी नई साथी होगी.

राज्य में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को शिकस्त देने वास्ते समाजवादी पार्टी ने 2 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) के साथ करार किया है. इस करार के तहत कैराना सीट से आरएलडी चुनाव लड़ेगी और यह सीट समाजवादी पार्टी ने आरएलडी के लिए छोड़ी है, जहां से समाजवादी पार्टी की प्रत्याशी रहीं तबस्सुम हसन अब आरएलडी के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगी जबकि नूरपुर में समाजवादी पार्टी का उम्मीदवार मैदान में होगा.

नई दोस्ती की शुरुआत

दोनों दलों के प्रमुखों अखिलेश यादव और अजीत सिंह के बीच शनिवार शाम बातचीत के बाद इस आखिरी फैसले पर मुहर लगी जिसे मुसलमानों और जाटों के बीच नई दोस्ती की शुरुआत के तौर पर इसे देखा जा रहा है.

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समाजवादी पार्टी में पहले ही ऐलान कर रखा था कि वह किसी सूरत में कैराना सीट नहीं छोड़ेगी, लेकिन शुक्रवार को पहले दौर की बातचीत में जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के बीच एक-एक सीट के बंटवारे को लेकर सहमति बन चुकी थी.

अखिलेश यादव ने नूरपुर सीट आरएलडी को देने की बात कही थी, लेकिन शनिवार को अंतिम तौर पर अजीत सिंह ने जब अखिलेश यादव से इस सीट की मांग की तब अखिलेश ने इस शर्त पर यह सीट छोड़ने की बात कही कि कैंडिडेट तबस्सुम हसन की होंगी जिसे अजीत सिंह ने मान लिया और अब कैराना से आरएलडी के लिए तबस्सुम हसन चुनाव लड़ेंगी.

कांग्रेस का भी समर्थन!

समाजवादी पार्टी ने नूरपुर के लिए नईमुल हसन को अपना उम्मीदवार बनाया है जो नूरपुर विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी होंगे.

सूत्रों की माने तो अब कांग्रेस पार्टी भी आरएलडी के नाम पर अपनी सहमति दे देगी क्योंकि पहले कांग्रेस ने आरएलडी को समर्थन देने का ऐलान कर रखा है, ऐसे में कैराना उपचुनाव में गोरखपुर और फूलपुर की तरह ही व्यापक विपक्षी एकता दिखाई देगी जहां बीजेपी के खिलाफ एक साझा उम्मीदवार ही चुनाव लड़ेगा.

मायावती की मूक सहमति

बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) हालांकि औपचारिक तौर पर किसी को भी समर्थन नहीं देने का ऐलान कर चुकी हैं, लेकिन माना जा रहा है कि सपा और आरएलडी के इस गठबंधन को अंतिम तौर पर मायावती ने भी अपनी मौन सहमति दे दी है और तभी अजीत सिंह के लिए अखिलेश यादव ने यह सीट छोड़ी.

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बता दें कि मायावती राज्यसभा चुनाव में आरएलडी के विधायक सहेंद्र सिंह के क्रॉस-वोटिंग से खासी नाराज थीं और उन्होंने अपनी नाराजगी खुलकर जताई थी, बाद में आरएलडी ने अपने विधायक को पार्टी से निकाल दिया जिसने हाल ही में बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की है.

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