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Bihar News: पश्चिम चंपारण जिले के एक गांव में अजीब जंतु ने हलचल मचा दी है. लोगों ने नवरात्रि के पहले दिन माता का चमत्कार समझ उसकी पूजा-अर्चना शुरू कर दी है. रात के समय बल्ब की रोशनी में यह अनोखा कीट एक दीवार पर आकर बैठ गया था. जिसकी भी नजर पड़ी, उसे यह डरावनी आकृति लगी. जिसकी चर्चा पूरे गांव समेत आसपास के इलाके में फैल गई.
जिले के बगहा स्थित वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों से सटे बैरिया कला गांव का यह मामला है. जंगल से सटा क्षेत्र होने के कारण तमाम प्रकार के जीव जंतु रिहायशी इलाकों में दिखना कोई बड़ी बात नहीं है. लेकिन यह तितली जैसी आकृति का अनोखा कीट था जो आकर में भी बहुत बड़ा दिख रहा था. लोग जमा होने लगे और अंततः नवरात्रि का पहला दिन होने के चलते धार्मिक भावनाओं से प्रभावित लोगों ने इसे दैवीय चमत्कार मान कर पूजा अर्चना शुरू कर दिया.
इसके बारे में वन विभाग के वरिष्ठ पदाधिकारी कमलेश मौर्य ने बताया कि यह एक दुर्लभ प्रजाति का कीट है, जो दुनिया में पाए जाने वाले कीटों में सबसे बड़ा होता है. यह बहुत कम मात्रा में पाया जाता है. इसको एटलस मॉथ (Atlas moth) के नाम से जाना जाता है. देखें Video:-
भारत में एटलस मॉथ झारखंड के पलामू में पाया जाता है. मूलतः विदेशों में बहुतायत में पाया जानेवाला कीट है. दिन के उजाले में यह बहुत कम दिखता है और यह रात्रि में ही निकलता है. साथ ही अक्सर बल्ब की रोशनी से आकर्षित होकर बल्ब के पास चला जाता है.
उन्होंने बताया इसका मादा आकार नर से काफी बड़ा होता है, जिसके पंख पर सर्प जैसी आकृति होती है. जब इसको खतरा महसूस होता है तो यह पंख फड़फड़ाते हुए अपनी बचाव में आवाज भी निकलता है. मादा एटलस मॉथ का पंख 24 सेंटीमीटर का होता है. पंख का फैलाव 15 से 17 सेंटीमीटर तक होता है. इसका जीवन दो-तीन सप्ताह का होता है. जीवन चक्र नर से निषेचित होने और अंडे देने के बाद प्यूपा से पूर्ण आकर में आने तक में 21 दिन का समय लगता है, और यह नर का इंतजार करती है.
वन विभाग के मुताबिक, जिन लोगों को एटलस मॉथ के बारे में जानकारी नहीं है, वे तो इसको नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन इसका दिखना काफी खुशी की बात है. क्योंकि यह एक दुर्लभ किट है जो कि आकार में सभी कीटों से से बड़ा होता है.
(रिपोर्ट: गिरीन्द्र कुमार पाण्डेय)