सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को बाबरी मस्जिद मामले में उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ अपील करने में हुए विलम्ब को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमें भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी एवं 20 अन्य लोगों को बरी कर दिया गया था.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एच.एल. दत्तू तथा न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर की पीठ ने सरकार से देरी के लिए हलफनामा प्रस्तुत करने को कहा. इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 20 मई, 2010 को दिए गए फैसले में आडवाणी तथा 20 अन्य लोगों को बरी किए जाने के लगभग नौ महीने बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबाआई) ने सर्वोच्च न्यायालय में 18 फरवरी, 2011 को उच्च न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.
आडवाणी पर उत्तर प्रदेश के अयोध्या में 20 वर्ष पहले विवादित ढाचे को ढहाए जाने को लेकर आपराधिक साजिश रचने का आरोप था. सीबाआई की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता पी.पी. राव ने न्यायालय को बताया कि विलम्ब का कारण तत्कालीन महाधिवक्ता कार्यालय द्वारा की गई देरी है.
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दी जिसमें सरकार को शपथपत्र प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है तथा आडवाणी एवं अन्य लोगों को भी अपने जवाब प्रस्तुत करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया गया है. आडवाणी की तरफ से सर्वोच्च न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता रविशंकर प्रसाद ने, विलम्ब के लिए क्षमा किए जाने के सीबीआई के आग्रह का विरोध किया.