राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आ चुका है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अगुवाई में पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन का असल मालिक रामलला विराजमान को माना है.
इसके साथ ही सरकार को 6 महीने के भीतर एक ट्रस्ट बनाकर मंदिर निर्माण की रूपरेखा तय करने को भी कहा है. जबकि सुन्नी वफ्फ बोर्ड को कोर्ट ने अयोध्या में ही दूसरी जगह 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया है.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण को लेकर सरकार द्वारा बनाए जाने वाले 'अयोध्या ट्रस्ट' को लेकर साधु-संतों के बीच विवाद शुरू हो गया. विवाद के बीच आजतक ने रामनगरी के सभी प्रमुख साधु-संतों को एक मंच पर लाने की कोशिश की. इसके साथ ही यह जानने की कोशिश भी की कि मंदिर निर्माण को लेकर उनकी क्या इच्छा है.
कार्यक्रम के दौरान सभी साधु-संतों ने एक साथ यह बात दोहराई कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जल्द से जल्द भगवान राम का मंदिर वहां बनना चाहिए और अगर मंदिर निर्माण में देरी है तो कम से कम जिस टेंट में भगवान राम रह रहे हैं उसे हटाकर वहां गर्भ गृह का निर्माण करवा दिया जाए. बाद में मंदिर चाहे जब तक बनता रहे. दरअसल यह बात तब उठी जब पूर्व सांसद और श्री राम जन्मभूमि न्यास के सदस्य राम विलास वेदांती ने यह बात कही कि मंदिर 2024 तक बनकर तैयार हो जाएगा.
दरअसल एक सवाल के जवाब में वेदांती ने कहा था, "नरेन्द्र मोदी की ओर से मैं बता रहा हूं, 3 महीने के अंदर ट्रस्ट का निर्माण होगा और 3 महीने के बाद मंदिर निर्माण की प्रक्रिया आरंभ हो जाएगी और मुझे लगता है कि 5 साल के अंदर इसी पंचवर्षीय योजना में मंदिर बनकर तैयार हो जाएगा और उसमें भगवान राम विराजमान हो जाएंगे". उन्होंने आगे कहा, "2024 का चुनाव मंदिर पर लड़ा जाएगा या नहीं इस पर मैं भविष्यवाणी नहीं कर सकता लेकिन यह कह सकता हूं कि 2024 तक मंदिर का निर्माण हो जाएगा ".
इसके बाद रामलला मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने साफ कहा कि मंदिर निर्माण में अगर अधिक विलंब हो रहा है तो पहले कम से कम गर्भ गृह का निर्माण कर टेंट से रामलला को मुक्ति दिला देनी चाहिए. इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. अगर रामलला फिर 4-5 साल तक टाटपट्टी में रहते हैं तो इस तरह के ट्रस्ट का कोई मतलब नहीं है. रामलला अब तक टाटपट्टी में रहे वो बहुत हुआ.
इसके बाद धर्मगुरु करपात्रि ने आचार्य सत्येंद्र दास की बात का समर्थन करते हुए कहा कि अगर 2024 तक मंदिर निर्माण की बात हो रही है तो जरूर इसके पीछे कुछ राजनीति है. मैं बस यही कहना चाहूंगा कि अयोध्या के संत जल्द से जल्द राम मंदिर बनता देखना चाहते हैं.
ठीक ऐसी ही बात हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने भी कही. उन्होंने कहा, "अविलंब टाटपट्टी हटाकर वहां दिव्यता बरकरार की जाए. हमें ट्रस्ट से कोई लेना-देना नहीं. 4-5 साल के फेर में नहीं पड़ना. निवेदन है कि टाटपट्टी हटाकर दिव्यता प्रदान करें बाद में आप मंदिर बनाते रहना".
धर्मगुरु परमहंसदास ने कहा कि सत्येंद्र दास जी राम जी की वेदना समझ सकते हैं क्योंकि वे ही दोनों वक्त वहां जाकर पूरा-अर्चना करते हैं. जहां रामलला विराजमान हैं वहां कम से कम एक मंदिर तो बनवाया जा सकता है. हम चाहते हैं कि आने वाली रामनवमी में हम पक्के गर्भगृह में भगवान राम का दर्शन करें यही प्रार्थना है.