अयोध्या से सटे गांव धन्नीपुर में सरकार की ओर से दी गई पांच एकड़ जमीन में मस्जिद सिर्फ 15,000 वर्ग फुट पर ही बनेगी क्योंकि विवादित ढांचे में बाबरी मस्जिद भी इतने बड़े क्षेत्रफल में ही थी.
इस्लामिक वास्तु कला के एक्सपर्ट और इस मस्जिद के वास्तुशास्त्री प्रोफेसर एसएम अख्तर के मुताबिक शुरुआती चर्चा में इसका डिजाइन काबा शरीफ से मिलता जुलता बनाने पर विचार चल रहा है. यानी मस्जिद चौकोर आकार की बनाई जा सकती है. यह मस्जिद गुंबद और मीनारों के पारंपरिक इस्लामी डिजाइन से मुक्त होगी. उसमें कलात्मक मेहराब खंबे तो होंगे लेकिन पारंपरिक और आधुनिक कला डिजाइन और निर्माण का नमूना पेश किया जाएगा.
मस्जिद की पांच एकड़ जमीन पर निर्माण कराने और भविष्य में पूरा रख रखाव और प्रबंधन करने वाले इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन (आईआईसीएफ) के सचिव और प्रवक्ता अतहर हुसैन का कहना है कि अपने देश या दुनिया में स्थानीय भवन निर्माण कला के मुताबिक भी मस्जिदें बनाई जाती रही हैं. मीनारें, गुंबद, मेहराब, कमान ये सब मस्जिद के लिए अनिवार्य मापदंड या आधार नहीं हैं लेकिन काबा शरीफ इस्लाम की सबसे प्राचीन विश्वस्त इमारत है. अगर अयोध्या में बनने वाली मस्जिद का डिजाइन भी उससे मिलता जुलता हो तो ज्यादा अच्छा होगा.
हुसैन ने कहा कि देश विश्वास रखे कि मस्जिद का नाम किसी भी शाह, सुल्तान, बादशाह या शख्सियत के नाम पर नहीं होगा. हालांकि नाम बेमिसाल होगा. पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद और अन्य संस्थान बनाने के लिए ट्रस्ट ने वेब पोर्टल भी बनाया है. मस्जिद के लिए चंदा देने के लिए अलग खाता है जिसमें लोग सिर्फ अपनी हलाल व ईमान की आमदनी का हिस्सा दान करें, ऐसी उम्मीद है. दूसरे खाते में अस्पताल, इस्लाम शिक्षा संस्कृति शोध संस्थान और पुस्तकालय सहित अन्य संस्थानों के लिए चंदा दिया जा सकेगा.