राम मंदिर बनने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने शनिवार को अयोध्या के कारसेवक पुरम में अभिनंदन समारोह का कार्यक्रम रखा. इस समारोह में राम मंदिर मुकदमे में डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जुड़े अधिवक्ताओं और कानूनविदों को सम्मानित किया गया.
इसमें सबसे खास रहे सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर पक्ष की तरफ से मुकदमा लड़ने वाले 92 साल के. परासरण, जिनका पूरा परिवार अयोध्या पहुंचा और राम जन्मभूमि जाकर रामलला का दर्शन और पूजन किया. इसके बाद कारसेवकपुरम जाकर विहिप के स्वागत समारोह में शामिल भी हुए.
पूरे कार्यक्रम के दौरान विश्व हिंदू परिषद पदाधिकारियों का पूरा ध्यान इन्हीं के ऊपर रहा. इसके अलावा पीवी नरसिंहम, सी वैद्यनाथन, रंजीत कुमार, यूपी के अपर महाधिवक्ता मदन मोहन पाण्डेय और साध्वी ऋतंभरा समेत सुप्रीम कोर्ट के कई कानूनविद प्रमुख रूप से शामिल रहे.
साध्वी ऋतंभरा ने लगाया तिलक
कार्यक्रम के दौरान राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाने वाली साध्वी ऋतंभरा ने के परासरण समेत प्रमुख कानूनविदों को तिलक लगाकर स्वागत किया और इसके बाद अपने संबोधन के दौरान वह भावुक भी हो गईं और उन्होंने राम मंदिर आंदोलन में अपनी कुर्बानी देने वाले कारसेवकों को याद किया.
कुछ संतों ने राम मंदिर आंदोलन के दौरान बाबरी विध्वंस की पटकथा को मौजूद लोगों के साथ साझा किया.
रामनामी शॉल भेंट
साध्वी ऋतंभरा ने कहा, 'इससे ज्यादा खुशी का दिन नहीं हो सकता. अगर यह फैसला नहीं आता तो हम आजीवन अपराध बोध से ग्रस्त होते, क्योंकि हमारे बुलावे पर राम मंदिर आंदोलन में देशभर से युवा अपने झोले में अपना कफन लेकर अयोध्या आते थे. आज उन तमाम लोगों की संतुष्टि मिली होगी जो अयोध्या मुक्ति आंदोलन में शहीद हुए, उनकी आत्मा भी तृप्त होगी. यह बेहद खुशी का क्षण है जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.'
92 साल के. परासरण अपने परिवार के साथ और 51 दूसरे अधिवक्ताओं को अयोध्या के कारसेवकपुरम में सम्मानित किया गया. सभी को राम मंदिर की तस्वीरों वाले प्रतीक चिन्ह और एक रामनामी शॉल भी भेंट किया गया. परासरण ने जाते-जाते सिर्फ वाल्मीकि रामायण का एक संस्कृत श्लोक भी उद्धृत किया.