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संजय सिंह कैसे ले उड़े अयोध्या का मुद्दा, अखिलेश अपनी रणनीति में कितना रहे सफल?

यह मुद्दा तब गर्माया जब आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेज पेशकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 'दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन महज कुछ मिनटों बाद 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई. 

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आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह
आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अयोध्या जमीन खरीद मामले में भ्रष्टाचार के आरोप
  • पूर्व सपा विधायक ने उठाया सबसे पहले मामला
  • संजय सिंह ने लखनऊ में मामला उठाकर क्रेडिट लिया

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन खरीद मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. सपा नेता और अयोध्या के पूर्व विधायक तेजनारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय ने भले ही सबसे पहले इस मामले को उठाया था.

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हालांकि, यह मुद्दा तब गर्माया जब आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में दस्तावेज पेशकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पर सीधे-सीधे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि 'दो करोड़ रुपये में खरीदी गई जमीन महज कुछ मिनटों बाद 18.5 करोड़ रुपये में खरीदी गई. 

संजय सिंह ने कहा कि राममंदिर के ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने संस्था के सदस्य अनिल मिश्रा की मदद से दो करोड़ रुपए कीमत वाली जमीन को 18 करोड़ रुपये में खरीद गया है. यह सीधे-सीधे धन शोधन का मामला है और सरकार इसकी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराए. वहीं, इस मामले को उजागर करने वाली सपा पीछे रहते हुए अपने सियासी मकसद में कामयाब रही तो संजय सिंह ने इस मुद्दे को सुर्खियां लाकर पूरे मामले का क्रेडिट अपने नाम कर लिया है.

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अयोध्या में राममंदिर जमीन खरीदारी के दस्तावेज सबसे पहले सपा के हाथ लगे थे, लेकिन पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने खुद इस मामले को उठाने के बजाय अपने स्थानीय पूर्व विधायक पवन पांडेय से उठवाया. दरअसल, अखिलेश इस मामले को उठाकर खुद आगे नहीं आना चाहते थे, क्योंकि उनके द्वारा उठाए जाने के बाद सपा को बीजेपी से लेकर तमाम हिंदूवादी संगठन कारसेवकों पर गोली कांड की याद ताजा कराने लगते.

माना जा रहा है कि इसी डर के चलते सपा प्रमुख ने खुद को पीछे रखा और अपने स्थानीय विधायक पवन से पूरे मामले को उजागर करा दिया. हालांकि, इसके बाद भी बीजेपी नेता और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि जिन के हाथ राम भक्तों के खून से सने हुए हुए हैं, वो सलाह न दें. अगर कोई आरोप लगा है तो उसकी जांच होगी और एक्शन लिया जाएगा. बाहरी लोग इसमें न पड़ें. 

 पवन पांडेय ने रविवार को दोपहर के बाद अयोध्या में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राममंदिर ट्रस्ट पर गंभीर आरोप लगाया. सपा नेता ने कहा कि 18 मार्च 2021 को पहले दो करोड़ में जमीन का बैनामा और उसी जमीन का 10 मिनट बाद साढ़े 18 करोड़ में एग्रीमेंट ट्रस्ट के नाम हुआ. एग्रीमेंट और बैनामा दोनों में ही ट्रस्टी अनिल मिश्र और मेयर ऋषिकेष उपाध्याय गवाह हैं. उन्होंने सवाल उठाया कि महज कुछ मिनटों में ही 2 करोड़ रुपये की कीमत की जमीन साढ़े 18 करोड़ रुपये की कैसे हो गई? 

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सपा के द्वारा अयोध्या में मामला उठाए जाने के बाद केस स्थानीय स्तर पर ही रह गया जबकि आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने लखनऊ में बकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर जमीन खरीदारी के सारे दस्तावेज पेश करते हुए राममंदिर के नाम पर खरीदी जा रही जमीन के मामले में भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.

संजय सिंह ने कहा कि लगभग 5.5 लाख रुपये प्रति सेकंड जमीन का दाम बढ़ गया. हिंदुस्तान क्या दुनिया में कहीं भी कोई जमीन एक सेकंड में इतनी महंगी नहीं हुई होगी. इस मामले की तत्काल ईडी और सीबीआई से जांच कराई जाए और जो भी भ्रष्टाचारी हैं उनको पकड़ कर जेल में डाला जाए.

संजय सिंह के लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मामला उठाने और राम मंदिर से जुड़ा होने के नाते सभी मीडिया संस्थानों ने इसे प्रमुखता से जगह दी. सपा नेता पीछे छूट गए और हर टीवी चैनल पर संजय सिंह की बाइट चलने लगी. मानों ऐसे लगा कि पूरे मामले को उजागर आम आदमी पार्टी ने किया हो और क्रेडिट संजय सिंह को मिलने लगा. हाल ही में बीजेपी विधायक और योगी सरकार के मंत्री हरीश द्विवेदी के जमीन खरीदारी के मामले को लेकर संजय सिंह ने मोर्चा खोल रखा था. 

सपा और आम आदमी पार्टी के बाद कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाया. लखनऊ में सोमवार को कांग्रेस की महिला कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किए. वहीं, रविवार को कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर आरोप लगाया, 'हे राम, ये कैसे दिन... आपके नाम पर चंदा लेकर घोटाले हो रहे हैं. बेशर्म लुटेरे अब आस्था बेच  'रावण' की तरह अहंकार में मदमस्त हैं. सवाल है कि दो करोड़ में खरीदी जमीन 10 मिनट बाद  'राम जन्मभूमि' को 18.50 करोड़ में कैसे बेची? अब तो लगता है ...कंसों का ही राज है, रावण हैं चहुं ओर!'

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वहीं, राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सचिव चंपत राय ने इन आरोपों को बेबुनियाद और राजनीति से प्रेरित बताया है. रविवार देर शाम चंपत राय ने बयान जारी कर कहा कि श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने जितनी भूमि खरीदी है, उसे बाजार की कीमत से बहुत कम मूल्य पर खरीदा है. उक्त भूमि को खरीदने के लिए वर्तमान विक्रेतागणों ने वर्षों पूर्व जिस मूल्य पर अनुबंध किया था, उस भूमि को उन्होंने 18 मार्च 2021 को बैनामा कराया और उसके बाद ट्रस्ट के साथ अनुबंध किया गया है. ऐसे में किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया है. 

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