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अयोध्या: जमीन विवाद में दलितों से खरीदी से लेकर कार्रवाई के निर्देश तक, जानें कब-कब क्या हुआ

डीआईजी दीपक कुमार के रिश्तेदार ने बताया कि जमीन पर विवाद का सवाल ही नहीं उठता. उनका दावा है कि डीआईजी दीपक कुमार के तबादले के 6 महीने बाद उन्होंने 18 लाख रुपए की जमीन खरीदी थी. फिलहाल, जो विवाद चल रहा है, उस विवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

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-फाइल फोटो.
-फाइल फोटो.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1992 में माझा बरेटा गांव में महर्षि रामायण विद्यापीठ ने जमीन खरीदी थी
  • 1 अक्टूबर 2020 को अयोध्या के डीएम ने जांच के आदेश दिए थे

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अफसरों के रिश्तेदारों के नाम पर जमीन खरीद-फरोख्त मामले में कुछ और तथ्य सामने आए हैं. अनुसूचित जाति के रोघई ने महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट को जो जमीन दान दी थी. इसके बाद ट्रस्ट ने 15 लोगों को लगभग 17 एकड़ जमीन बेच दी. अब सामने आया है कि अफसरों के रिश्तेदारों ने जो जमीन ट्रस्ट से खरीदी है, वह रोघई की ओर से दान की गई जमीन नहीं है. बता दें कि रोघई को ट्रस्ट का भरोसेमंद बताया जा रहा है. आरोप है कि ट्रस्ट ने पहले रोघई के नाम पर दलितों से जमीन खरीदी. फिर उसी जमीन को 1996 में दान पत्र के जरिए ट्रस्ट के नाम करा ली.    

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दावा- ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन गैर विवादित है

कमिश्नर एमपी अग्रवाल, रेवेन्यू ऑफिसर पुरुषोत्तम दास गुप्ता, डीआईजी दीपक कुमार के रिश्तेदारों का दावा है कि उन्होंने ट्रस्ट से जो जमीन खरीदी है, वह गैर विवादित है. डीआईजी दीपक कुमार के रिश्तेदार ने बताया कि जमीन पर विवाद का सवाल ही नहीं उठता. उनका दावा है कि डीआईजी दीपक कुमार के तबादले के 6 महीने बाद उन्होंने 18 लाख रुपए की जमीन खरीदी थी. फिलहाल, जो विवाद चल रहा है, उस विवाद से उनका कोई लेना-देना नहीं है.

1 अक्टूबर 2020 को अयोध्या के जिलाधिकारी अनुज कुमार झा जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे, उनके पिता बद्री झा ने भी निजी काश्तकार मंशाराम सिंह से 24 लाख रुपए में जमीन खरीदी थी.

दान से लेकर खरीदने और जांच तक.... जानिए कब-कब क्या हुआ

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  • 1992 में माझा बरेटा गांव में महर्षि रामायण विद्यापीठ ने जमीन खरीदी. इस जमीन में से 21 बीघा जमीन दलितों के नाम पर रजिस्टर्ड थी जिसे रोघई ने खरीदी थी. 
  • 3 जून 1996 को रोघई ने एक अनरजिस्टर्ड दान पत्र के जरिए यह पूरी जमीन महर्षि रामायण विद्यापीठ को दान कर दी.
  • 22 अगस्त 1996 के तत्कालीन सर्वे नायब तहसीलदार ने खतौनी संख्या 1389 (फ) से 1394 (फ) खाता संख्या 96 को भू-राजस्व में रोघई का नाम खारिज कर श्री महर्षि रामायण विद्यापीठ ट्रस्ट द्वारा प्रबंधक प्रेमचंद श्रीवास्तव के नाम पर दर्ज कर लिया गया.
  • बिना डीएम की परमिशन के अनुसूचित जाति के रोघई की जमीन का ट्रांसफर नहीं किया जा सकता जिस पर 18 सितंबर 2019 को बरेहटा मंझा गांव के रहने वाले महादेव ने ही शिकायत दर्ज कराई.
  • महादेव की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत पर 30 अक्टूबर 2019 को कमिश्नर एमपी अग्रवाल ने जांच के आदेश दिए.
  • 1 फरवरी 2020 को जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट दी.
  • 1 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन डीएम अयोध्या अनुज कुमार झा ने जांच रिपोर्ट के आधार पर महर्षि रामायण विद्या पीठ ट्रस्ट के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए.
  • 18 मार्च 2021 को कमिश्नर ने जांच रिपोर्ट रेवेन्यू बोर्ड को भेज दी.
  • 6 अगस्त 2021 को इस मामले में असिस्टेंट रिकॉर्ड ऑफिसर की कोर्ट में केस फाइल हुआ और तब से मामला लंबित है.

 

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