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अयोध्या में जल्द खुलेगा क्वीन हो पार्क, दक्षिण कोरिया से है खास संबंध

अयोध्या में क्वीन हो मेमोरियल पार्क जल्द ही आम लोगों के लिए खुल जाएगा. इसका निर्माण 2019 में ही शुरू हो गया था. दक्षिण कोरिया से खास संबंध रखने वाले इस पार्क में मेडिटेशन हॉल, क्वीन पवेलियन, किंग पवेलियन, पाथ-वे, फाउंटेन, म्यूरल, ऑडियो-वीडियो इत्यादि का निर्माण किया गया है.

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क्वीन हो मेमोरियल पार्क
क्वीन हो मेमोरियल पार्क

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में एक तरफ जहां राम जन्मभूमि का निर्माण जोर-शोर से चल रहा है. वहीं सूबे की योगी आदित्यनाथ सरकार यहां कई अन्य परियोजनाएं भी विकसित कर रही है. इन्हीं में से एक है 'क्वीन हो मेमोरियल पार्क', जिसका खास संबंध दक्षिण कोरिया से भी जुड़ता है. बहुत जल्द ये पार्क आम जनता के लिए खुलने जा रहा है.

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सरयू तट पर करीब दो हजार वर्गमीटर में फैले दो देशों के रिश्तों का यह प्रतीक स्थल लगभग 21 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ है. इसके लोकार्पण को लेकर हलचल तेज हो गई है. दीपोत्सव में मुख्यमंत्री योगी के अयोध्या पहुंचने पर पार्क का लोकार्पण भी किया जा सकता है. इसमें दक्षिण कोरिया के शीर्ष राजनेताओं के शामिल होने की संभावना है. दक्षिण कोरिया के इतिहास के अनुसार, अयोध्या की राजकुमारी श्रीरत्ना दो हजार वर्ष पूर्व जल मार्ग से दक्षिण कोरिया पहुंची थीं. वहां उनका विवाह राजा सूरो से हुआ था.

नवंबर 2018 में हुआ था शिलान्यास

नवंबर 2018 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व दक्षिण कोरिया की प्रथम महिला किम जोंग सुक ने संयुक्त रूप से क्वीन हो पार्क का शिलान्यास किया था. पार्क में आने वालों का गौरवशाली अतीत से साक्षात्कार हो, भावी पीढ़ी भी इतिहास से अवगत हो, सरकार ने इसका भी ध्यान रखा है.

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क्वीन हो मेमोरियल पार्क
क्वीन हो मेमोरियल पार्क

सेतु के एक किनारे पर राजा सूरो का किंग पवेलियन

पार्क में ध्यान केंद्र, प्रदर्शनी कक्ष के साथ सरोवर व उस पर आकर्षक सेतु बनाया गया है. सेतु के एक किनारे पर राजा सूरो का किंग पवेलियन, जबकि दूसरे छोर पर रानी हो का क्वीन पवेलियन है. राजकुमारी श्रीरत्ना की कोरिया यात्रा की प्रतीक नाव एवं रास्ते में मिला गोल्डन एग भी पार्क में स्थापित है.

क्वीन हो मेमोरियल पार्क
क्वीन हो मेमोरियल पार्क

दीपोत्सव पर पार्क के उद्घाटन की तैयारी

क्षेत्रीय पर्यटन अधिकारी आरपी यादव ने बताया कि दीपोत्सव पर पार्क के उद्घाटन की तैयारी है. इस स्मारक की साज-सज्जा और स्थापत्य संयोजन में भारतीय परंपरा के साथ दक्षिण कोरियाई परंपरा का भी समावेश किया गया है. किंग पवेलियन का निर्माण दक्षिण कोरिया के सहयोग से हुआ है. पार्क में शिलालेख भी स्थापित है, जिससे पर्यटकों को पार्क की महत्ता समझने में भी आसानी होगी.

 

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