उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर की जमीन खरीद में घोटाले की बात सामने आने पर हंगामा मचा है. विपक्षी दलों के द्वारा मंदिर के ट्रस्ट और सरकार से लगातार सवाल पूछे जा रहे हैं. इस बीच पूरे प्रकरण में जिस शख्स का नाम बार-बार आ रहा है, वो हैं प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी. इस पूरे विवाद को लेकर आजतक ने सुल्तान अंसारी से खास बात की है.
जमीन का पूरा विवाद समझाते हुए सुल्तान अंसारी ने बताया कि 4 मार्च, 2011 में इसका सबसे पहला एग्रीमेंट करवाया गया था, तब एक करोड़ रुपये रेट था. साथ ही 10 लाख रुपये पेशकी का दाम था. सुल्तान के मुताबिक, 2014 में इसका रिन्यूवल करवाया गया, फिर जब 2019 में अपने नाम पर एग्रीमेंट करवाया तब रेट दो करोड़ पहुंच गया था.
‘चंद मिनटों में नहीं हुआ कोई सौदा’
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को लेकर सुल्तान अंसारी ने कहा कि मार्च में ट्रस्ट हमारे संपर्क में आया और जमीन को लेकर कई दौर की बात हुई. सुल्तान अंसारी के मुताबिक, उनकी बात चंपत राय और ट्रस्ट के अन्य सदस्यों से हुई और अंत में 18.5 करोड़ में सौदा तय हो गया. ट्रस्ट की ओर से रेट पर कुछ नहीं कहा गया, क्योंकि दाम बढ़ चुके थे.
सिर्फ 10 मिनट में करोड़ों का दाम बढ़ने के आरोपों पर प्रॉपर्टी डीलर सुल्तान अंसारी ने कहा कि चंद मिनटों में कोई सौदा नहीं हुआ है, ये सब बेकार की बातें हैं. किसी जमीन को अगर हम पहले से बातचीत करके बेच रहे हैं, तो ये सिर्फ मिनटों की बात नहीं है.
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‘हम भी राम को मानने वाले’
सुल्तान अंसारी ने बताया कि ट्रस्ट ने कहा था कि वो बैनामा धारक के खाते में ही पैसा देंगे, एग्रीमेंट धारक जो था उसके खाते में पैसा पहुंचाने में ट्रस्ट ने असमर्थता जताई. सौदे को लेकर सुल्तान अंसारी ने बताया कि हमारी बातें फाइनल हो चुकी थीं और फिर स्टांप पहले का हो या बाद का मैटर नहीं करता है.
सुल्तान अंसारी ने फिर दोहराया कि कोई डील मिनटों में नहीं होती है, पहले से ही सभी संपर्क में थे. ट्रस्ट ने जो जमीन ली है, वो कम पैसे में ही ली है. सुल्तान अंसारी के मुताबिक, उस वक्त जमीन का दाम करीब 24.5 करोड़ रुपये था क्योंकि हम लोग राम मंदिर के बगल में रहते हैं, राम को मानते हैं, दान देते आए हैं. इसलिए जब धर्म की बात आई तो हमने गंगा-यमुना तहजीब के तहत कम पैसे में जमीन ट्रस्ट को बेच दी.
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी द्वारा लगातार आरोप लगाया गया कि ट्रस्ट ने जमीन खरीद में घोटाला किया और 16.5 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया गया है. हालांकि, श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने सभी आरोपों को राजनीतिक करार दिया और अपनी सफाई भी पेश कर दी है.