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अयोध्याः जमीन खरीद विवाद गहराया, सामने आया रिश्तों का 'कनेक्शन'

एक तरफ दो करोड़ की जमीन 18.5 करोड़ में खरीदे जाने को लेकर सियासत गर्म है तो वहीं दूसरी तरफ अब इस सौदे में भाई-भतीजावाद और रिश्तेदारों का कनेक्शन भी निकल रहा है.

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राम मंदिर ट्रस्ट के जमीन सौदे पर विवाद गहराया (फाइल फोटो)
राम मंदिर ट्रस्ट के जमीन सौदे पर विवाद गहराया (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सेल एग्रीमेंट से रजिस्ट्री तक कॉमन हैं तीन नाम
  • मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का रिश्तेदार है रवि मोहन

अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है. एक तरफ दो करोड़ की जमीन 18.5 करोड़ में खरीदे जाने को लेकर सियासत गर्म है तो वहीं दूसरी तरफ अब इस सौदे में भाई-भतीजावाद और रिश्तेदारों का कनेक्शन भी निकल रहा है. अयोध्या में ट्रस्ट की ओर से किए गए भूमि सौदे को लेकर अब आम आदमी पार्टी (एएपी) के साथ ही कांग्रेस भी हमलावर हो गई है.

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वहीं आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह की तरफ से श्रीराम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन और उसकी कीमत को लेकर लगातार सवाल खड़े किए जा रहे हैं लेकिन अब नया आरोप जमीनों की खरीद-फरोख्त करने वालों और सौदे में गवाहों के बीच रिश्तों को लेकर भी खड़े हो गए हैं. रिश्तों के चलते नए आरोप में तीन नाम सामने आए हैं. पहला नाम अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय, दूसरा नाम जमीन खरीद में गवाह रवि मोहन तिवारी और तीसरा दीप नारायण उपाध्याय का है.

अयोध्या के मेयर हैं ऋषिकेश उपाध्याय

मार्च में 18 तारीख को ये जमीन पहले दो करोड़ में बिकी और फिर बाद में 18.5 करोड़ में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई. इन दोनों ही सौदों में अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह थे. जिस दो करोड़ की जमीन को कुसुम पाठक और हरीश पाठक ने सुल्तान अंसारी को बेचा उसमें रवि मोहन तिवारी भी शामिल थे. इसमें मेयर ऋषिकेश पाठक गवाह थे. फिर इसी दो करोड़ की जमीन को श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपये में बेचा गया. 17 करोड़ रुपये का भुगतान आरटीजीएस के जरिए किया गया, इसमें भी अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय गवाह हैं.

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इतना ही नहीं इसी उसी दिन यानी 18 मार्च को ही श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से जो दूसरी जमीन हरीश पाठक और कुसुम पाठक से आठ करोड़ रुपये में खरीदी गई, उसमें भी ऋषिकेश उपाध्याय ही गवाह थे. एएपी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की मानें तो राम मंदिर ट्रस्ट को दो करोड़ की जमीन 18 करोड़ में बेचने वाले रवि मोहन तिवारी और गवाह ऋषिकेश उपाध्याय के बीच गहरा रिश्ता है. रवि मोहन तिवारी दरअसल मेयर ऋषिकेश उपाध्याय के समधी के साले हैं. कुल मिलाकर दोनों में करीबी रिश्तेदारी है.

ऋषिकेश पर मुनाफे के लिए सौदा कराने का आरोप

आरोप लगाया जा रहा है कि मेयर ऋषिकेश उपाध्याय ने मंदिर ट्रस्ट को दो करोड़ की जमीन 18.5 करोड में बेचने के लिए ही रवि मोहन तिवारी से सौदा करवाया. करोड़ों रुपये रवि मोहन तिवारी के हिस्से में पहुंचें, इसके लिए ही 18 मार्च को जमीन का वह सेल एग्रीमेंट कैंसिल कराया गया जिसमें सुल्तान अंसारी का नाम तो था लेकिन रवि मोहन तिवारी का नाम नहीं था. 17 सितंबर 2019 को 9 लोगों के साथ दो करोड़ में हुए इस सेल एग्रीमेंट को कैंसिल करवाया गया जिसके बाद हरीश पाठक और कुसुम पाठक ने सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी को यह जमीन दो करोड़ में बेच दी जिसके 10 मिनट बाद ही यही जमीन ट्रस्ट ने 18.5 करोड़ में खरीद ली.

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एक अन्य सौदे में भी मेयर और रवि मोहन का नाम

अयोध्या के उसी क्षेत्र में 7 जून 2021 को हुए एक अन्य जमीन सौदे में भी ऋषिकेश उपाध्याय और रवि मोहन तिवारी का कनेक्शन सामने आया है. 7 जून 2021 को महेंद्र नाथ मिश्रा की ओर से 1 करोड़ 90 लाख रुपये में दीप नारायण उपाध्याय को जमीन बेची गई. उसका भी मेयर से कनेक्शन है. इस रजिस्ट्री में जिस शख्स ने 3040 वर्ग मीटर की जमीन महेंद्र नाथ मिश्रा से खरीदी वह दीप नारायण उपाध्याय अयोध्या के मेयर ऋषिकेश उपाध्याय का सगा भतीजा है. इतना ही नहीं इसमें गवाह रवि मोहन तिवारी है.

कुल मिलाकर अयोध्या में राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन की सामने आई रजिस्ट्री और सेल एग्रीमेंट में तीन नाम हर जगह शामिल थे- ऋषिकेश उपाध्याय, रवि मोहन तिवारी और दीप नारायण उपाध्याय. इन्हीं सब रिश्तों के ताने-बाने और करोड़ों की जमीन की खरीद-फरोख्त को देखते हुए संजय सिंह ने आरोप लगाए हैं कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर राम भक्तों के साथ घोटाला हो रहा है, भ्रष्टाचार हो रहा है, धोखा हो रहा है. उन्होंने बेइमानों को जेल भेजने की मांग की है.

वहीं दूसरी तरफ मंदिर ट्रस्ट की ओर से खरीदी गई जमीन से जुड़ी गड़बड़ी के बवंडर में अब कांग्रेस भी कूद गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में अब इस जमीन खरीद घोटाले की जांच हो और जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

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