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अयोध्या में निजी क्षेत्र के सहयोग से बनेगी श्रीराम यूनिवर्सिटी, राम की संस्कृति पर होगी रिसर्च

अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार श्रीराम यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है. यह विश्वविद्यालय भगवान राम की संस्कृति पर शोध करने वाला सबसे बड़ा केंद्र होगा. इस काम के लिए निजी क्षेत्रों से प्रस्ताव भी मंगा लिए गए हैं.

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अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
अयोध्या में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूनिवर्सिटी बनाने के लिए निजी क्षेत्र से मांगा गया प्रस्ताव
  • श्रीराम यूनिवर्सिटी में विभिन्न रामायणों पर शोध होगा

राम की नगरी अयोध्या में उत्तर प्रदेश सरकार श्रीराम यूनिवर्सिटी बनाने जा रही है. यह विश्वविद्यालय भगवान राम की संस्कृति पर शोध करने वाला सबसे बड़ा केंद्र होगा. इस काम के लिए निजी क्षेत्रों से प्रस्ताव भी मंगा लिए गए हैं. डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा कि अयोध्या में निजी क्षेत्र में श्रीराम यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी, जिसमें विभिन्न रामायणों पर शोध होगा.

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दरअसल, अयोध्या में भव्य राम मंदिर तैयार होने के बाद शहर को धार्मिक नगरी के रूप में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान देने के लिए ऐसा विश्वविद्यालय बनाया जा रहा है, जिसने भगवान राम की जीवन शैली, विचार, संस्कृति और हिंदू धर्म के बारे में तमाम चीजें न सिर्फ पाठ्यक्रम में शामिल कर पढ़ाई जाएंगी बल्कि इन्हीं विषयों पर बड़े स्तर पर रिसर्च भी की जाएगी.

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने अयोध्या में कहा, 'जब हम 'रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे' का नारा लगाते थे तो लोग हमारा मजाक उड़ाते थे, अब राम मंदिर बनने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है और अयोध्या भी बन रही है. अयोध्या हमारे लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र है. अयोध्या की विरासत प्राचीन है.'

डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा, 'अयोध्या की लोक संस्कृति का प्रभाव पूरे देश में देखने को मिलता है, अयोध्या की विरासत को बरकरार रखने हुए योगी सरकार अयोध्या को अंतरराष्ट्रीय स्तर की नगरी बनाने की दिशा में कार्य कर रही है, रेलवे स्टेशन, हवाई अड्डा, सड़कें आदि बनाई जा रही हैं.'

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अयोध्या पहुंचे डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने कहा, 'शिक्षा मंत्री के नाते भगवान से यही प्रार्थना करने आया हूं कि यहां जल्द श्रीराम यूनिवर्सिटी की स्थापना हो, भगवान ऐसे लोगों को सद्बुद्धि दे जो धर्म के प्रति अनास्था रखते हुए आलोचना का भाव रखते हैं और मंदिर निर्माण की परिकल्पनाओं में बाधा बनने का कार्य करते हैं.'

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