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जिला पंचायत अध्यक्ष चुनावः क्या बदलेगा अयोध्या का सियासी इतिहास, खिलेगा कमल?

बीजेपी ने पूरा बाजार द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य बनीं रोली सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. रोली सिंह, आलोक सिंह रोहित की पत्नी हैं जिनकी गिनती बड़े ट्रांसपोर्टर के रूप में होती है.

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अयोध्या में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कभी नहीं जीती है बीजेपी (प्रतीकात्मक तस्वीरः PTI)
अयोध्या में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कभी नहीं जीती है बीजेपी (प्रतीकात्मक तस्वीरः PTI)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कभी नहीं जीत पाई है बीजेपी
  • BJP ने रोली सिंह, सपा ने इंदु सेन यादव को बनाया है उम्मीदवार

अयोध्या में कभी भी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं रहा है. जिला पंचायत अध्यक्ष (Zila Panchayat Addyaksh) के चुनाव में यहां पहली बार कमल खिल सकता है. कल यानी 3 जून को होने जा रहे जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में बीजेपी ने रोली सिंह को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं विपक्षी समाजवादी पार्टी ने पूर्व मंत्री आनंद सेन की पत्नी इंदू सेन को मैदान में उतारा है.

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जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए हो रहे चुनाव में इस दफे कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी (BSP) ने वॉकओवर दे दिया है. इसबार यदि अयोध्या में कमल खिलता है तो यह शतरंज की बिसात पर मोहरों की एक ऐसी उलटफेर होगी जिसमें अपने ही अपनो को मात देगें. बीजेपी ने पूरा बाजार द्वितीय से जिला पंचायत सदस्य बनीं रोली सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है. रोली सिंह, आलोक सिंह रोहित की पत्नी हैं जिनकी गिनती बड़े ट्रांसपोर्टर के रूप में होती है.

यह जानना भी जरूरी है कि रोली सिंह से अधिक मजबूत दावेदारी इंद्रभान सिंह की थी जो लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं और चुनाव भी लड़ते रहे हैं. टिकट को लेकर बीजेपी में कुछ दिन तक माथापच्ची चलती रही और उसके बाद रोली सिंह को उम्मीदवार बनाने का ऐलान हुआ. बीजेपी के जिला अध्यक्ष संजीव सिंह ने आजतक से बात करते हुए कहा कि प्रदेश नेतृत्व की अनुशंसा और क्षेत्रीय अध्यक्ष शेष नारायण मिश्रा के निर्देश पर टिकट की घोषणा की गई है.

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सपा ने इंदु सेन यादव को दिया है टिकट

बीजेपी की रोली सिंह के सामने सपा ने अयोध्या की राजनीति के दिग्गज मित्रसेन यादव की बहू इंदु सेन यादव को टिकट दिया है. इंदु सेन पूर्व मंत्री आनंद सेन यादव की पत्नी हैं. अयोध्या की राजनीति में मित्रसेन यादव और उनके परिवार का बड़ा दखल रहा है लेकिन पहले बहुचर्चित शशि हत्याकांड में आनंद सेन का नाम आने और उसके बाद मित्रसेन यादव की मृत्यु के बाद इस परिवार की राजनीतिक पकड़ कमजोर होती चली गई.

क्या है आंकड़ों का गणित

अयोध्या के जिला पंचायत अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस और बसपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं. ऐसे में बीजेपी और सपा में सीधी टक्कर है. आंकड़ों की बात करें तो समाजवादी पार्टी सीधे तौर पर जीती नजर आ रही है. अयोध्या में जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 40 है. इसमें बीजेपी के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या महज आठ है.

इसके उलट सपा के 16 सदस्य जीते हैं. रालोद को एक, बसपा को चार और अन्य के हिस्से में जिला पंचायत सदस्य की 11 सीटें आई हैं. आंकड़ों से साफ है कि दोनों में से कोई भी दल अकेले दम जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने की स्थिति में नहीं हैं. बसपा, कांग्रेस और अन्य के जिला पंचायत सदस्य जिसकी तरफ जाएंगे, विजय उसके हिस्से आएगी.

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दोनों दल कर रहे अपनी जीत के दावे

बीजेपी और सपा, दोनों ही दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं लेकिन कहते है कि राजनीति में जो दिखाई देता है, वैसा होना जरूरी नहीं. शतरंज के खेल में चाल बहुत महत्वपूर्ण होती है. सियासत में भी कमोबेश यही कहानी है. एक बार अगर मोहरों से नजर हट गई तो जीती बाजी हारने में देर नहीं लगेगी. सियासी बाजी में सामने चली जाने वाली चाल से अधिक महत्वपूर्ण छिपी चाल होती है जो अगर कामयाब हो गई तो अपने ही मोहरे अपनों को मात दिला जाते है. आंकड़ो के गणित ऐसे गड़बड़ा जाते है कि बड़े बड़े राजनीतिक पंडित दांतो तले  उंगली दबा लेते हैं. अयोध्या में भी ऐसा ही कुछ होता दिखाई दे रहा है.

 

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