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आजम के कंधे पर शिवपाल का हाथ, नया समीकरण क्या अखिलेश के लिए चिंता की बात?

रामपुर से सपा विधायक और पार्टी का मुस्लिम चेहरा आजम खान 27 महीने के बाद सीतापुर जेल से बाहर निकलकर रामपुर पहुंच चुके हैं. इस बीच सियासत रामपुर से लखनऊ तक गर्म है. सभी की निगाहें आजम खान के अगले सियासी कदम पर है कि क्या वो सपा के साथ ही रहेंगे या फिर नया सियासी ठिकाना तलाशेंगे?

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जेल से बाहर निकलने के बाद आजम खान के कंधे पर शिवपाल यादव का हाथ
जेल से बाहर निकलने के बाद आजम खान के कंधे पर शिवपाल यादव का हाथ
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आजम खान सीतापुर जेल से निकलकर रामपुर पहुंचे
  • शनिवार को सपा की बैठक में क्या शामिल होंगे आजम
  • आजम-शिवपाल के बीच पक रही नई सियासी खिचड़ी?

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान आखिरकार 27 महीने के बाद जेल से बाहर निकल गए हैं. सीतापुर जेल की सलाखों से आजम खान बाहर निकले तो उनका वेलकम प्रसपा के मुखिया शिवपाल यादव ने किया. सपा चीफ अखिलेश यादव ने भी ट्वीट कर आजम की रिहाई का स्वागत किया, लेकिन सीतापुर जेल से बाहर आजम खान के कंधे पर शिवपाल हाथ रखे नजर आए जबकि सपा के बड़े नेता नदारद थे. ऐसे में सभी की निगाहें कि इस बात पर लगी है कि आजम खान आगे अपनी सियासी पारी सपा के साथ बरकरार रखेंगे या फिर नहीं राजनीतिक राह तलाशेंगे? 

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शिवपाल यादव ने सीतापुर जेल के बाहर आजम खान से मुलाकात की. इस दौरान दोनों ही नेताओं के बीच कुछ देर तक बातचीत हुई.  शिवपाल ने मीडिया से बात करते कहा कि हम लोग समाजवादी हैं और हमेशा नेताजी से हम लोगों ने सीखा है सुख और दुख में साथ रहना और कहीं पर भी सुख-दुख में अगर साथी संकट में हैं. अखिलेश के नहीं आने के सवाल पर शिवपाल ने कहा कि ये तो अखिलेश यादव से पूछिए न, आजम भाई हमारे साथी हैं. हमारी बात आज भी हुई और आगे भी होती रहेगी. 

आजम खान जेल से बाहर आने के बाद क्या कदम उठाएंगे इसे लेकर रामपुर से लेकर लखनऊ तक सियासी अटकलें तेज हैं. सीतापुर में सपा के पूर्व विधायक अनूप गुप्‍ता के घर जलपान के बाद आजम खान रामपुर पहुंच चुके हैं. ऐसे में सभी की निगाहें लखनऊ में सपा की शनिवार को होने वाले विधानमंडल की बैठक पर है, जिसमें अखिलेश यादव ने अपनी पार्टी के सभी विधायक और एमएलसी को बुलाया है. इस बैठक में अखिलेश बजट सत्र के दौरान योगी सरकार को सदन में घेरने की रणनीति बनाएंगे. 

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अखिलेश यादव ने इस बैठक में अपने सभी विधायकों और एमएलसी सदस्यों को हर हाल में उपस्थित रहने का आदेश दिया है. ऐसे में आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम शनिवार को सपा के विधानमंडल सदस्यों की बैठक में शामिल होते हैं कि नहीं. इसके बाद ही आजम खान के आगे की सियासत पर तस्वीर साफ हो पाएगी. आजम खान बैठक में शामिल होते हैं कि नहीं दोनों ही स्थिति पर नजर होगी. 

सपा प्रमुख अखिलेश यादव शुक्रवार को भले ही सीतापुर जेल पहुंचकर आजम खान का वेलकम न कर सके हों, लेकिन ट्वीट कर जरूर स्वागत किया किया है. अखिलेश ने ट्वीट कर कहा कि सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक आजम खान के जमानत पर रिहा होने पर उनका हार्दिक स्वागत है. जमानत के इस फैसले से सर्वोच्च न्यायालय ने न्याय को नए मानक दिए हैं. पूरा ऐतबार है कि वो अन्य सभी झूठे मामलों-मुकदमों में बाइज्जत बरी होंगे. झूठ के लम्हे होते हैं, सदियां नहीं! 

दरअसल, माना जा रहा है कि आजम खान सपा प्रमुख अखिलेश यादव से नाराज है. आजम के करीबी नेताओं ने तो पहले ही अखिलेश यादव के खिलाफ अपनी नाराजगी जाहिर कर चुके हैं. आजम समर्थकों ने आरोप लगाया था कि समाजवादी पार्टी के लिए खून-पसीना बहाने वाले मुस्लिम नेता की रिहाई के लिए अखिलेश यादव ने कोई प्रयास नहीं किया. आजम के कई समर्थकों ने सपा को अलविदा भी कह चुके हैं. इसीलिए माना जा रहा है कि आजम खान अब सपा और अखिलेश से किनारा कर सकते हैं. 

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आजम खान की सियासी ताकत से सभी वाकिफ हैं. उत्तर प्रदेश में मुस्लिमों के सबसे बड़े नेता माने जाते हैं. ना सिर्फ रामपुर बल्कि पूरे प्रदेश में अल्पसंख्यक समुदाय के वोटर्स पर आजम की मजबूत पकड़ है. मुस्लिमों के बीच सपा के सियासी आधार बढ़ाने में आजम खान की अहम भूमिका रही है. यही वजह है कि शिवपाल यादव से लेकर कांग्रेस और बसपा तक ने आजम खान पर डोरे डाल रही हैं. 

शिवपाल यादव ने आजम खान से जेल में जाकर मुलाकात करने से लेकर रिहाई के समय स्वागत कर तक पहुंचे थे. शिवपाल जिस तरह से आजम खान के साथ खड़े नजर आए हैं, उससे साफ जाहिर होता है कि दोनों ही नेताओं के बीच कुछ न कुछ सियासी खिचड़ी पक रही है. शिवपाल तो आजम खान को अपना भाई बताते हुए संकेत दिया था कि दोनों नेता साथ मिलकर नया मोर्चा बना सकते हैं. 

बीएसपी प्रमुख मायावती का आजम खान के जेल में बंद रहने के दौरान आजम के मामले को उठाना कुछ सियासी अटकलों को हवा देता है. आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने रामपुर जाकर आजम खान परिवार से मुलाकात की थी और अपने परिवार के पुराने रिश्तों की दुहाई दी थी. वहीं, कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने जेल जाकर आजम से मुलाकात कर उन्हें साधने का दांव चला था. 

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आजम खान अब जेल से बाहर आ चुके हैं और अब सूबे की राजनीति में नए मोड़ ले सकती है. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आजम के बाहर आते ही सपा में राजनीतिक उठा पटक हो सकती. आजम खान की बगावत से अखिलेश यादव की परेशानी बढ़ सकती है, क्योंकि वो सपा के सबसे बड़े मुस्लिम नेता हैं. सपा के साथ उन्हें जोड़े रखने में चुनौती होगी, लेकिन आजम खान अगर सपा से अलग होने का कदम उठाते हैं तो बड़ी संख्या में मुस्लिम वोटर्स सपा से किनारा कर सकते हैं. ऐसे में गेंद अब आजम खान के पाले में है और देखना होगा कि क्या कदम उठाते हैं. 


 

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