भले ही सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान को बुलंदशहर के गैंग रेप की घटना को राजनीतिक साजिश बताने के लिए फटकार लगाई हो लेकिन आजम खान के सुर अभी भी नहीं बदले हैं. सोमवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर आजम खान ने पहले तो उसे कोर्ट का मामला कहकर कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया. लेकिन जब उनसे दोबारा पूछा गया, तब आजम खान ने लगभग अपनी बात को दोहराते हुए कहा कि अगर एक के बाद एक लगातार एक जैसी रेप की घटनाएं हो, तो राज्य सरकार का यह दायित्व बनता है कि वो इसके पीछे की सच्चाई का पता लगाए.
आजम खान ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का एक जिम्मेदार मंत्री होने के नाते उनका भी यह दायित्व बनता है की सच्चाई के तह तक जाने की कोशिश करें कि आखिर एक के बाद एक लगातार एक जैसे अपराध क्यों हो रहे हैं. हालांकि आजम खान ने यह भी कहा कि वह चाहते हैं कि रेप के मामले में इस्लामिक कानून के हिसाब से सख्त सजा हो और फैसला एक हफ्ते के भीतर हो. इस्लामिक कानून के हिसाब से बलात्कार की सजा के तौर पर पत्थरों से मारकर अपराधी की जान ली जाती है.
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर आजम ने यह सफाई भी दी कि उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं कहा जिससे पीड़ित परिवार को ठेस लगे. न ही उन्होंने ऐसा कुछ कहा है जिससे मुकदमा कमजोर हो और ना ही उन्होंने अफसरों पर इस मामले को कमजोर करने के लिए कोई दबाव डाला. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आजम खान के बयान पर नाराजगी जताते हुए पूछा है कि क्या सरकार का कोई जिम्मेदार आदमी जिसका इस मामले से कोई लेना-देना नहीं हो ऐसे बयान दे सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा है कि क्या ऐसी बात कहना बोलने की आजादी के दायरे में आता है? इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से तीन हफ्तों के भीतर जवाब देने को कहा है.