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आजमगढ़ उपचुनावः सुशील आनंद को चुनाव लड़ाना चाहते थे अखिलेश, क्यों बदलना पड़ा फैसला?

आजमगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए डिंपल यादव राजी नहीं हुईं. धर्मेंद्र यादव की देर रात तक मान-मनौव्वल का दौर चलता रहा. सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव पहले सुशील आनंद को चुनाव लड़ाना चाहते थे लेकिन आजमगढ़ के नेता इसके लिए तैयार नहीं हुए.

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अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
अखिलेश यादव (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • रमाकांत यादव के नाम पर सहमत नहीं हुए अखिलेश
  • सुशील आनंद ने खुद चुनाव लड़ने से मना कर दिया

समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के इस्तीफे से रिक्त हुई आजमगढ़ लोकसभा सीट पर पार्टी किसे उतारेगी, इसे लेकर कयासों का दौर जारी था. कभी दलित चेहरे सुशील आनंद का टिकट तय बताया जा रहा था तो फिर डिंपल यादव का नाम उछला. धर्मेंद्र यादव का नाम भी चर्चा में था. अब पार्टी ने धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार घोषित कर दिया है.

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सपा ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ के मुकाबले धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतार दिया है. बताया जा रहा है कि अखिलेश यादव आजमगढ़ सीट से दलित चेहरे को चुनाव मैदान में उतारना चाहते थे लेकिन पार्टी की जिला इकाई के नेताओं की मांग थी कि यादव परिवार का ही कोई नेता चुनाव लड़े. आजमगढ़ के सपा कार्यकर्ता और नेताओं ने साफ कह दिया था कि डिंपल यादव या धर्मेंद्र यादव में से किसी एक को उम्मीदवार बनाया जाए.

अखिलेश यादव की इच्छा पर स्थानीय समीकरण भारी पड़े और सपा ने आखिरकार धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बना दिया. कहा तो ये भी जा रहा है कि अखिलेश यादव ने पार्टी नेताओं के बीच इसका ऐलान भी कर दिया था कि सुशील आनंद आजमगढ़ सीट से पार्टी के उम्मीदवार होंगे. आजमगढ़ के स्थानीय समीकरण और मजबूत यादव नेताओं को देखते हुए अखिलेश यादव को उम्मीदवार के ऐलान से पहले माथापच्ची करनी पड़ी और आखिरकार धर्मेंद्र यादव को टिकट देना पड़ा.

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सुशील आनंद ने खुद किया चुनाव लड़ने से इनकार

अब ये जानकारी भी मिल रही है कि सपा अध्यक्ष ने जिन सुशील आनंद को चुनाव लड़ाने का पूरा मन बना लिया था, उन्होंने खुद ही चुनाव नहीं लड़ने की इच्छा जता दी. सुशील आनंद ने अखिलेश यादव को पत्र लिखकर कहा कि उनका दो जगह की वोटर लिस्ट में नाम है. उन्होंने वोटर लिस्ट में दो जगह नाम होने का हवाला देते हुए कहा कि चुनाव नहीं लड़ना चाहता. सुशील आनंद ने सपा अध्यक्ष को लिखे पत्र में इस बात की भी जानकारी दी थी कि उन्होंने मतदाता सूची में एक जगह नाम काटने के लिए आवेदन कर रखा है लेकिन ये सुधार अभी हुआ नहीं है.

बलिहारी बाबू के बेटे हैं सुशील आनंद

सुशील आनंद बामसेफ के संस्थापक सदस्यों में शामिल रहे बलिहारी बाबू के बेटे हैं. बलिहारी बाबू लंबे समय तक बसपा में रहे. बाद में उन्होंने सपा जॉइन कर ली थी. कोरोना की महामारी के दौरान बलिहारी बाबू का निधन हो गया था. बलिहारी बाबू के निधन के बाद सुशील आनंद सियासत में सक्रिय हुए. सुशील आनंद भी सपा से जुड़े हुए हैं.

चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हुईं डिंपल यादव

सुशील आनंद के बाद डिंपल यादव का नाम चर्चा में रहा. रविवार रात तक डिंपल का नाम लगभग तय भी हो चुका था. डिंपल यादव की उम्मीदवारी में दो वजहों से पेंच फंसा. पहली वजह ये रही कि डिंपल यादव खुद चुनाव मैदान में उतरने को तैयार नहीं थीं. दूसरी वजह ये कि पार्टी का एक धड़ा डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारकर किसी तरह का राजनीतिक रिस्क नहीं लेना चाहता था.

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डिंपल की 'ना' के बाद धर्मेंद्र को लड़ाने की मांग

डिंपल यादव के भी चुनाव लड़ने से इनकार करने के बाद नए नाम को लेकर चर्चा शुरू हुई तो सपा की आजमगढ़ यूनिट ने धर्मेंद्र यादव का नाम आगे कर दिया. आजमगढ़ यूनिट ने साफ-साफ कह दिया कि अगर डिंपल को नहीं लड़ा सकते तो धर्मेंद्र यादव को चुनाव मैदान में उतारा जाए. धर्मेंद्र यादव भी परिवार का चेहरा हैं. धर्मेंद्र यादव भी आजमगढ़ सीट से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं थे. धर्मेंद्र यादव की सीट बदायूं है और उन्हें ये लग रहा था कि अगर वे आजमगढ़ से चुनाव लड़े तो बदायूं सीट पर स्वामी प्रसाद मौर्य अपना दावा बरकरार रखेंगे.

देर रात चुनाव लड़ने के लिए माने धर्मेंद्र यादव

धर्मेंद्र यादव को मनाने की कोशिशें चल रही थीं तो दूसरी सपा ने मुलायम परिवार के करीबी अंशुल यादव को भी चुनाव लड़ने के लिए तैयारी रहने को कह दिया था. पार्टी के नेताओं ने धर्मेंद्र यादव को 5 जून की देर रात आखिरकार मना ही लिया. इन सबके बीच सपा नेतृत्व के लिए पिछले तीन दिन काफी माथापच्ची वाले रहे. बीच में रमाकांत यादव का नाम भी उछला लेकिन उनके नाम पर खुद अखिलेश ही तैयार नहीं हुए.

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रमाकांत के नाम पर क्यों राजी नहीं थे अखिलेश

अखिलेश यादव की ओर से आजमगढ़ के नेताओं को दलित उम्मीदवार लड़ाने की मंशा का संदेश दिया जाता रहा. दूसरी तरफ स्थानीय नेताओं ने परिवार से किसी के न उतरने पर रमाकांत यादव को उम्मीदवार बनाने की मांग आगे कर दी. रमाकांत के नाम पर अखिलेश यादव इसलिए तैयार नहीं हुए, क्योंकि वे अभी विधायक निर्वाचित हुए हैं. दूसरा कारण रमाकांत के बेटे का हाल के एमएलसी चुनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ना रहा. अखिलेश की चाहत के बावजूद आजमगढ़ यूनिट के नेता अपनी बात पर अड़े रहे.

सपा के लड़ाई से बाहर होने की भी थी चर्चा

सुशील आनंद की उम्मीदवारी की बात आई तो आजमगढ़ में ये चर्चा भी शुरू हो गई कि सपा लड़ाई से बाहर हो जाएगी. स्थानीय स्तर पर इस तरह की बातें होने लगीं कि बीजेपी ने यादव बिरादरी से दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतार दिया है. बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गुड्डू जमाली को टिकट दिया है. ऐसे में कहा ये जाने लगा कि सपा ने दलित चेहरा उतारा तो मुकाबला बीजेपी और बसपा के बीच हो जाएगा. सपा मुकाबले से बाहर हो जाएगी. इस तरह की चर्चा ने भी सपा आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी थीं.

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