अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में बीए की छात्रा एक दिन के लिए कोतवाल बनाई गई. कोतवाली का चार्ज संभालते ही छात्रा के सामने पांच मामले आए, जिनमें दो मामलों में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए, तो वहीं तीन मामलों में संबंधित पुलिस चौकी इंचार्ज को जांच कर अग्रिम कार्रवाई के लिये कहा. बता दें कि बाल एवं महिला सशक्तिकरण का संदेश देने के लिए यूपी के डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी के निर्देश पर हर जिले में किसी होनहार छात्रा को एक दिन के लिए थानेदार बनाया गया.
गाजीपुर के राजकीय महिला महाविद्यालय की बीए तृतीय वर्ष की छात्रा सुष्मिता यादव को शासन के निर्देश पर शहर कोतवाल विमल मिश्रा ने एक दिन के लिए अपनी कुर्सी पर बैठाया. साथ ही कोतवाल उनके सहयोगी के रूप में कार्य करते नजर आए. इतना ही नहीं, कोतवाल का सीयूजी नंबर भी सुष्मिता के पास रहा.
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सीयूजी नंबर पर आने वाली कई शिकायतों को सुष्मिता यादव ने सुना और हल्का इंचार्ज के माध्यम से मामलों को निपटाने के लिए निर्देश दिए. बता दें कि अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के मौके पर प्रदेश के 1535 थानों और कोतवाली का चार्ज एक दिन के लिए जिले की होनहार छात्राओं को दिया गया.
एक दिन की कोतवाल बनीं सुष्मिता ने बताया कि इस कुर्सी पर बैठकर बहुत अच्छा लग रहा है. सुष्मिता ने बताया कि आगे का लक्ष्य आईपीएस बनना है. उन्होंने कहा कि पुलिस आम लोगों के लिए एक मित्र का काम करती है, इसलिए उन्हें डरने की जरूरत नहीं है.
पुलिस हर किसी की बात को गंभीरता से सुनती है और उन्हें न्याय दिलाने का काम करती है. वहीं गाजीपुर शहर कोतवाली के इंचार्ज ने बताया यूनीसेफ के दिशा निर्देश पर पुलिस विभाग ने ये पहल की है. कोतवाली का एक दिन का प्रभार छात्रा को दिया गया, जिससे महिलाओं और छात्राओं में आत्मविश्वास के साथ पुलिस पर भी विश्वास बढ़ेगा. उन्होंने बताया कि नीतिगत फैसलों के अलावा छात्रा सुष्मिता यादव ने आज थाने के सभी रुटीन कार्यों को देखा और समझा.
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