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अयोध्याः मंदिर निर्माण पर हाजी महबूब ने ठुकराया श्रीश्री का फॉर्मूला

बैठक के बाद एओएल ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के प्रमुख सदस्यों और अन्य ने रवि शंकर से मुलाकात की और अयोध्या विषय का अदालत के बाहर हल किए जाने का समर्थन किया.

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श्रीश्री रविशंकर ने कई मुस्लिम नेताओं संग की थी मुलाकात
श्रीश्री रविशंकर ने कई मुस्लिम नेताओं संग की थी मुलाकात

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बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि विवाद के विषय पर अपनी मध्यस्थता की कोशिशें फिर से शुरू करते हुए ‘आर्ट ऑफ लिविंग’ (एओएल) के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने बातचीत को आगे बढ़ाया. गुरुवार को श्रीश्री ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रमुख सदस्यों के साथ बात की. इस बैठक में एआईएमपीएलबी और सुन्नी वक्फ बोर्ड के सदस्यों सहित मुस्लिम नेताओं के साथ एक बैठक की.

बैठक के बाद एओएल ने बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड, ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के प्रमुख सदस्यों और अन्य ने रविशंकर से मुलाकात की और अयोध्या विषय का अदालत के बाहर हल किए जाने का समर्थन किया. एओएल ने एक बयान में कहा, ‘‘उन्होंने मस्जिद को बाहर कहीं दूसरी स्थान पर ले जाए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया है. कई मुस्लिम हितधारक इस विषय में सहयोग कर रहे हैं.’’

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हालांकि, राम मंदिर-मस्जिद मामले में वकील जफरयाब जिलानी ने किसी भी समझौते से इनकार किया है. उनका कहना है कि हमें श्रीश्री का फॉर्मूला किसी भी तरह से स्वीकार नहीं है. मामले में पक्षकार हाजी महबूब ने भी इस फॉर्मूले को गलत ठहराया है. उनका कहना है कि वहां पर मस्जिद नहीं बनेगी, लेकिन वह जमीन हमें चाहिए. हम जन्मभूमि से अलग क्यों बनवाएं, हमारी जमीन को छोड़ दिया जाए.

आपको बता दें कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद की सुनवाई हुई थी. कोर्ट ने सभी पक्षों को दो हफ्ते के अंदर मामले से जुड़े कागजात लाने को कहा है, मामले की अगली सुनवाई 14 मार्च को होगी. सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि वह इस मामले की सुनवाई एक जमीनी विवाद के तौर पर ही करेंगे, किसी भी धार्मिक भावना और राजनीतिक दबाव में सुनवाई को नहीं सुना जाएगा.

समर्थन में आए दो केंद्रीय मंत्री

केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे और साध्वी निरंजन ज्योति ने मंदिर समझौते के लिए श्रीश्री रविशंकर की कोशिशों की तारीफ की है. उन्होंने कहा कि अगर कोई शांति से मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहा है, तो उसकी तारीफ होनी चाहिए. 

पीटीआई की खबर के मुताबिक, इस बैठक में कई संगठनों के 16 नेता बैठक में शरीक हुए थे. विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधि और विद्वान भी इसमें शरीक हुए. एओएल के एक अधिकारी ने बताया कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारी सदस्य मौलाना सैयद सलमान हुसैन नदवी, उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्त बोर्ड प्रमुख जफर अहमद फारूकी, लखनऊ के टीले वाली मस्जिद के मौलाना वसीफ हसन और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डॉ अनीस अंसारी बैठक में शरीक हुए.

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सेंटर फॉर ऑब्जेक्टिव रिसर्च एंड डेवलपमेंट निदेशक अतहर हुसैन सिद्दीकी, कारोबारी एआर रहमान, लंदन आधारित वर्ल्ड इस्लामिक फोरम प्रमुख मौलाना इसा मंसूरी, लखनऊ के वकील इमरान अहमद, हज कमेटी ऑफ इंडिया के पूर्व प्रमुख ए अबूबकर और बेंगलुरू के डॉ मूसा कैसर भी बैठक में शरीक हुए.

श्रीश्री रविशंकर द्वारा शुरू की गई वार्ता प्रक्रिया मंद पड़ने के बाद अब फिर से उनकी ओर से नई कोशिशें हुई हैं. रविशंकर ने इससे पहले दावा किया था कि दोनों समुदायों से बहुत अच्छे संकेत उभर कर सामने आए हैं. हालांकि, इन कोशिशों को विश्व हिंदू परिषद की कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया नहीं मिली है.

विहिप ने इस मुद्दे पर मध्यस्थता करने की आध्यात्मिक नेता की कोशिशों से अपनी दूरी बना ली है. पिछले साल नवंबर में कर्नाटक के उडुपी में हुए धर्म संसद में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और विहिप ने रविशंकर द्वारा उन्हें विश्वास में लिए बगैर अयोध्या विवाद का हल किए जाने की कोशिशों की सराहना नहीं की थी. रविशंकर ने पिछले साल नवंबर में उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी मुलाकात की थी.

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