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बनारसी साड़ी को मिलेगी नई पहचान, बढ़ेगी बुनकरों की आमदनी... यूपी सरकार का ये है प्लान

बनारस की मशहूर साड़ी को नई पहचान दिलाने के लिए यूपी सरकार ने खास योजना तैयार की है. इससे बनारसी साड़ी के कारोबार से जुड़े बुनकरों की आमदनी बढ़ेगी ही, रोजगार के नए अवसर भी उपलब्ध होंगे.

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बनारसी साड़ी उद्योग से मिलेंगे रोजगार के नए अवसर (फाइल फोटो)
बनारसी साड़ी उद्योग से मिलेंगे रोजगार के नए अवसर (फाइल फोटो)

अपनी खूबसूरती के लिए दुनिया भर में मशहूर बनारसी साड़ी को अब नई पहचान मिलने वाली है, इस उद्योग को अब नई चमक मिलने वाली है. यूपी सरकार ने बनारसी साड़ी उद्योग के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर (CFC) खोलने की दिशा में पहल की है. वस्त्र उद्योग में रोजगार के अवसर बढ़ाने और उद्योग के आधुनिकीकरण की दिशा में सरकार की ये कोशिश महत्वपूर्ण मानी जा रही है.

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कहा जा रहा है कि बनारसी साड़ी उद्योग के लिए सीएफसी खोलने के सरकार के फैसले से कोरोना काल के बाद बुनकरों की आमदनी बढ़ाने में भी इसकी भूमिका होगी. एक तरफ जहां ये बनारसी साड़ी के बुनकरों को संबल देगा तो दूसरी तरफ एक्सपोर्ट को बढ़ाने में भी सहायक होगा. बनारसी साड़ी अपनी खूबसूरती की वजह से दुनिया भर में लोगों की खास पसंद बनी हुई है.

गौरतलब है कि बनारसी साड़ी सूबे की सरकार के एक जिला एक उत्पाद के तहत भी शामिल की जा चुकी है और इसे GI टैग भी मिला हुआ है. अब वस्त्र उद्योग में तेजी लाने के लिए सरकार CFC की मदद लेने की तैयारी में है. बताया जा रहा है कि यूपी सरकार ने इस दिशा में काम भी शुरू कर दिया है. दावा किया जा रहा है कि सीएफसी से न सिर्फ वाराणसी समेत पूर्वांचल में बनारसी साड़ी और वस्त्र उद्योग से जुड़े लोगों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि और बड़ी संख्या में रोजगार का भी सृजन होगा.

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क्या होगा CFC में 

कॉमन फैसिलिटी सेंटर में अत्याधुनिक तकनीक की मशीनें भी लगाई जाएंगी. अनुमान है कि सीएफसी से पूर्वांचल के वस्त्र उद्योग में कई गुना वृद्धि होगी. जानकारों का अनुमान है कि सीएफसी की वजह से अगले 10 साल में ये कारोबार दोगुना हो जाएगा. एक्सपोर्ट भी चार गुना बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. वाराणसी में सूक्ष्म मध्यम और लघु उद्योगों के उपायुक्त मोहन शर्मा का कहना है कि बनारसी साड़ी के लिए 9 करोड़ 74 लाख की लागत से सीएफसी का निर्माण हो रहा है. इसका संचालन जल्दी शुरू हो जाएगा. उन्होंने ये भी कहा कि इससे बनारसी साड़ी उद्योग को नई ऊंचाई मिलेगी.

अर्नेस्ट एंड यंग कंपनी के सीनियर कंसल्टेंट दौलत राम ने कहा कि ओडीओपी नीति में शामिल सीएफसी के संचालन से मौजूदा 1300 करोड़ का व्यापार अगले 10 साल में 2500 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है. वहीं एक्सपोर्ट के भी 250 करोड़ से 1100 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है. उन्होंने कहा कि सीएफसी के संचालन से टेक्सटाइल उद्योग से जुड़े लोगों की आमदनी में 20 प्रतिशत तक का इजाफा होने की भी संभावना है.

कॉरिडोर के बाद कारोबार में आई है तेजी

सीएफसी की शुरुआत होने से पूर्वांचल के बुनकरों की आमदनी तो बढ़ेगी ही, क्षेत्र के युवाओं को भी बड़ी संख्या में रोजगार मिलेगा. सीएफसी के तहत अलग-अलग काम से 120 परिवार के सदस्य रोजगार पा सकेंगे. विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के निर्माण के बाद वाराणसी आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है और इसके साथ ही बनारसी साड़ी के कारोबार में भी तेजी आई है.

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मानकों पर होगा खास ध्यान

सीएफसी में साड़ियों और अन्य वस्त्रों के लिए मानक का खास ध्यान रखा जाएगा. अंतरराष्ट्रीय मानक और उच्च गुणवत्ता वाले वस्त्र तैयार किए जाएंगे. इस सेंटर पर कोई भी साड़ी पर काम करा सकता है. साड़ियां बुनने में तेजी आए, इसके लिए आधुनिक मशीनों पर जोर दिया जाएगा. सीएफसी की एक खास बात ये है कि बनारसी साड़ी पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट को बढ़ावा दिया जाएगा. बुनकरों को और दक्ष बनाने के लिए आधुनिक तकनीक पर भी खास ध्यान दिया जाएगा. पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण पर भी अध्ययन होगा. एक ही जगह सारी सुविधाओं के साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार के अनुरूप पैकेजिंग के लिए भी जगह उपलब्ध कराई जाएगी.

 

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