क्या आप जानना चाहेंगे कि उत्तर प्रदेश के डौंडियाखेड़ा में जिस खुदाई की इतनी चर्चा हुई और जिस पर सरकार के 2.75 लाख रुपये स्वाहा हो गए, उसमें आखिर निकला क्या! हम आपको बताते हैं.
सोना खोजने निकली एएसआई को इस खुदाई में कुछ मिट्टी के बर्तन, कांच की चूड़ियां, पकी मिट्टी के मनके, लोहे की कीलें, तांबे के तार का टुकड़ा और पत्थर की छोटी-सी विखंडित पशु आकृति मिली. इंडिया टुडे की ओर से डाली गई एक आरटीआई के जवाब में यह जानकारी मिली है.
खुदाई की सिफारिश करने वाला प्रशासन, इसे सरकारी हाईकमान तक ले जाने वाले केंद्रीय मंत्री चरणदास महंत और संत शोभन सरकार चाहें तो डौंडियाखेड़ा की इस उपलब्धि पर गर्व कर सकते हैं.
इंडिया टुडे ने आरटीआई डालकर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, लखनऊ मंडल से डौंडियाखेड़ा में हुई खुदाई पर कुछ सवाल पूछे थे. खर्च के बारे में जवाब मिला है कि इस पूरी खुदाई प्रक्रिया के लिए विभाग के महानिदेशक ने 4 लाख रुपए स्वीकृत किए थे जिसमें से कुल 2,78,751 रुपये खर्च हुए.
आरटीआई से यह भी जानकारी मिली कि राजा राव रामबख्श के किले के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में 4.25x4.25 मीटर और 4.25x2.12 मीटर की दो खंतियों में क्रमश: 5.93 मीटर और 6.10 मीटर गहराई तक खुदाई की गई थी.
अब आधिकारिक रूप से भी साफ हो गया है कि डौंडियाखेड़ा में 1000 टन सोना होने का साधु शोभन सरकार का दावा मुंगेरी लाल का हसीन सपना ही था. शोभन सरकार के सपने के पीछे-पीछे केंद्रीय मंत्री और केंद्र सरकार भागती नजर आई, बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी भी नतमस्तक हुए तो वैज्ञानिक तरीके से काम करने का दावा करने वाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण भी अपनी किरकिरी करा बैठा.