
आतंकवादी के आरोप का दंश झेल रहे बरेली के चांद मोहम्मद अभी भी इस दंश से बाहर नहीं आ पाए हैं. 2014 में बरेली की एक अदालत ने चांद मोहम्मद को 5 साल आतंकवादी के तौर पर जेल में बिताने के बाद निर्दोष करार देते हुए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. 53 वर्षीय चांद आज भी अपने ऊपर आतंकवादी कलंक को लेकर जीवन यापन कर रहे हैं.
आज भी समाज के तमाम लोग उनको इसी नजर से देखते हैं और पास बैठने से भी कतराते हैं, जबकि चांद मोहम्मद सभी आरोपों से दोषमुक्त हो चुके हैं. 13 अक्टूबर 2009 को चांद को हिरासत में लिया गया था. इनके पास से बम, तमंचे, आतंकवादी संबंधित साहित्य और नक्शे बरामद होने का दावा किया गया था.
5 साल तक जेल में रहने के बाद चांद मोहम्मद को अदालत ने निर्दोष करार देते हुए सभी आरोपों से मुक्त करके रिहा कर दिया, मगर आज भी समाज इनको आतंकवादी की नजर से देखता है और इनसे कतराता है. आज भी लोग इनको अपने शादी, विवाह के फंक्शन आदि में बुलाने से कतराते हैं. इस आतंकवादी ठप्पे की वजह से कोई नौकरी न मिली.
इसी कलंक के साथ मर जाएंगे
चांद मोहम्मद ने बताया, 'जो दाग आतंकवादी का उनके ऊपर लगा है, वह अब कभी नहीं मिटेगा, वह अब इसी दाग के साथ मर जाएंगे, आतंकवादी शब्द जुड़ जाने की वजह से तमाम रिश्तेदारों, दोस्तों, समाज के लोगों ने दूरियां बना ली, आज भी लोगों को डर रहता है कि कि कहीं मैं आतंकवादी तो नहीं हूं.
कैसे हुई थी चांद मोहम्मद की गिरफ्तारी?
बताया जाता है कि 13 अक्टूबर 2009 को प्रेम नगर के पुलिस अधिकारियों ने जुआरियों पकड़ने को लेकर अभियान चलाया था. जुआ खेलने वालों को पकड़ने को लेकर छापेमारी की जा रही थी. पुलिस को देखते ही कई जुआरी नदी में कूद गए थे, जिसमें 3 लोगों की मौत भी हो गई थी. पुलिस के खिलाफ मामले में चांद एक गवाह थे,
लेकिन चांद मोहम्मद का बयान दर्ज होने से पहले ही उन्हें पुलिस स्टेशन बुलाया गया और उन्हें आतंकवादी बताकर हिरासत में ले लिया गया. तब से लेकर इन पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने से कई सबूत भी अदालत में पेश किए गए और इनको जेल में डाल दिया गया. चांद मोहम्मद का कहना है कि उस समय मुझे सभी आतंकवादी कहने लगे थे.
बातचीत के दौरान चांद बेहद भावुक हो गए और कहा कि उस समय मुझे बताया जाने लगा कि मैंने पाकिस्तान में आतंकी शिविर में रहकर प्रशिक्षण प्राप्त किया है, जबकि ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं हो पाए थे. चांद मोहम्मद के साथ ही 11 साल की एक लड़की को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था, जो उनके दोस्त की बेटी है.
चांद मोहम्मद बताते हैं कि लड़की को कई दिनों तक पुलिस प्रताड़ना का सामना करना पड़ा था, फिलहाल वह सामान्य तौर पर जीवन यापन कर रही है, लेकिन आज भी लड़की के परिवार वाले इस बात से डरे रहते हैं, कहीं यह बात खुल ना जाये और उसके जीवन में तूफ़ान ना आ जाये, इस दंश के साथ ही जी रहे हैं, उस दिन को आज भी यह लोग भुला नहीं पाए हैं.
लड़की के भाइयों ने पेड़ पर गुजारी कई रातें
जैसे ही चांद मोहम्मद पर आतंकवादी होने का आरोप लगा और लड़की को हिरासत में लिया गया तो उसके भाई घर से भाग गए और पेड़ में कई रातें गुजारी. पुलिस बाकी रिश्तेदारों को भी परेशान करती थी. किसी ना किसी बहाने रिश्तेदार के घर में घुसकर उनके साथ बदसलूकी कर दी जाती थी और पूछताछ करती थी.
कई बार पुलिस से लगाई गुहार- मार दो मुझे गोली
चांद बताते हैं कि आतंकवादी तमगे का दर्द बहुत ही पीड़ादायक था, वह कई बार पुलिस अधिकारियों से विनती करते रहे कि जेल में डालने से अच्छा है कि वह उनको गोली मार दे, जिससे की उनको मुक्ति मिल सके, क्योंकि आतंकवादी शब्द जुड़ जाने की वजह से उनको और उनके परिवार को दर्द झेलना पड़ रहा था.
कबाड़ को दिखा दिया बम
जिस क्षेत्र में चांद रहते हैं, उस क्षेत्र में भारी मात्रा में माझा निर्माता भी रहते हैं. माझा निर्माताओं ने इनके निवास के पास ही काफी सारा कबाड़ छोड़ दिया था, जिसको पुलिस ने बम के अवशेष बताकर इन पर आरोप लगाए और उन कबाड़ के हिस्सों को अदालत में पेश कर बम दिखा दिया, फिर तमंचा भी दिखाया गया.
गुजरात में हुआ था नार्को टेस्ट
चांद बताते हैं कि उनका और नाबालिग लड़की का गुजरात के सूरत में नार्को टेस्ट किया गया था, लेकिन इसमें भी कुछ सच्चाई सामने नहीं आई थी. चांद मोहम्मद को पांच साल तक जेल में रहना पड़ा और आखिर में कोर्ट ने उन्हें बाइज्जत बरी कर दिया, लेकिन समाज की निगाह में बाइज्जत बरी न हो पाए. आज भी कोई सही ठिकाना ना होने के कारण उनका जीवन दरगाह में सेवा करते बीत रहा है.