उत्तर प्रदेश के नोएडा का जेवर एयरपोर्ट विश्व का चौथा सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा होगा, जिसके निर्माण का शिलान्यास देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 25 नवंबर, 2021 को किया है. यह अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा विश्व के महत्वपूर्ण हवाई अड्डों में माना जाएगा. भारत के एविएशन मैप में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर रहेगा. पूरे देश में यह सबसे बड़ा अन्तर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट होगा. इसके निर्माण से देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी और यह एयरपोर्ट भविष्य के लिए उड्डयन क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है. उत्तर प्रदेश के आर्थिक विकास में यह हवाई अड्डा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस संबंध में प्रदेश के मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी की अध्यक्षता में नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (नायल) की 12वीं बोर्ड बैठक मंगलवार को संपन्न हुई.
जेवर एयरपोर्ट का निर्माण पहले चरण में 3300 एकड़ भूमि पर आरंभ हुआ है और इसके निर्माण में 5730 करोड़ रूपये से अधिक का निवेश हुआ है. इस एयरपोर्ट में निवेश की संभावनाओं को बल मिलेगा. दिल्ली के पास होने के साथ-साथ प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, अलीगढ़ आदि जनपदों के औद्योगिक विकास, फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, एपैरल पार्क, यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर, अलीगढ़ नोड़ के निर्माण से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों, उद्यमियों, व्यापारियों, आमजन को विशेष लाभ होगा. जेवर एयरपोर्ट के बन जाने पर एक लाख से अधिक युवाओं को रोजगार मिलेगा. हजारों युवक अपना काम धंधा, उद्यम स्थापित कर आत्मनिर्भर बनेंगे.
कार्गो हब का निर्माण
भारत में पहली बार इंटीग्रेटेड मल्टी मॉडल कार्गो हब की अवधारणा के साथ जेवर एयरपोर्ट का निर्माण किया जा रहा है. इसके निर्माण से प्रदेश देश में बनी विभिन्न औद्योगिक, खाद्यान्न आदि वस्तुओं का निर्यात शीघ्रता से होगा. साथ ही वस्तुओं के विनिमय आयात-निर्यात लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी और समय की बचत होगी. शीघ्रता में भेजी जाने वाली वस्तुओं, स्थानीय उत्पाद और कृषि उपज अन्तर्राष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा के साथ आएंगे. प्रतिस्पर्धा होने से निर्मित वस्तुओं, विभिन्न उत्पादों की गुणवत्ता भी अच्छी होगी. किसानों के विभिन्न कृषि उपज की मांग बढ़ेगी और उससे बनने वाले खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के उत्पाद का निर्यात भी शीघ्रता से होगा. प्रदेश के विभिन्न उत्पादों के निर्यात के लिए कार्गो हब का निर्माण प्रदेश वासियों की आर्थिक प्रगति में बहुत सहायक होगा.
लॉजिस्टिक गेटवे के रूप में उभरेगा
देश के मैप में जेवर एयरपोर्ट उत्तर भारत के लॉजिस्टिक गेटवे के रूप में उभरेगा और उत्तर प्रदेश गलोबल लॉजिस्टिक मैप के रूप में विश्व के नक्शे में उभरेगा. इस एयरपोर्ट से प्रतिवर्ष लगभग सवा करोड़ यात्रियों का आवागमन होगा. दिल्ली गाजियाबाद, नोएडा, अलीगढ़, आगरा, फरीदाबाद, मेरठ आदि शहरों के करोड़ों लोगों को इसका लाभ मिलेगा. इस एयरपोर्ट के साथ ही एयरो सिटी के निर्माण की योजना भी सरकार ने बनाई है इस एयरपोर्ट के निर्माण से हास्पिटैलिटी और पर्यटन के क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा. पर्यटन को बढ़ावा मिलने से देश की संस्कृति और आर्थिक प्रगति में मजबूती आएगी.
2024 तक बनाने का लक्ष्य
जेवर में बन रहे इस एयरपोर्ट के साथ ग्राउण्ड ट्रॉसपोर्टेशन सेन्टर का भी विकास होगा, एयरपोर्ट तक रोड़, रेल और मेट्रो के निर्माण से निर्बाध कनेक्टिविटी बनी रहेगी. इस एयरपोर्ट का संचालन डिजिटल टेक्नोलॉजी पर आधारित होगा और यह नेट जीरो एमिशन के साथ संचालित होगा. देश में उत्तर प्रदेश सर्वाधिक 5 अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों का राज्य बना है. इस एयरपोर्ट को 2024 तक बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
एयरपोर्ट में हुई प्रगति प्रस्तुत
नोएडा इंटरनैशनल एयरपोर्ट लिमिटेड की इस बोर्ड बैठक में नोएडा इंटरनैशनल ग्रीनफ़ील्ड एयरपोर्ट ज़ेवर की स्टेट्स रिपोर्ट के साथ अब तक एयरपोर्ट में हुई प्रगति प्रस्तुत किया गया. मुख्य कार्यपालक अधिकारी नोएडा एयरपोर्ट डॉ. अरुण वीर सिंह ने बोर्ड के समक्ष एजेंडा प्रस्तुत किया.
बाउंड्रीवाल और समतलीकरण शुरू
इस प्रस्तुतीकरण में मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा बताया गया कि विकासकर्ता ज़ुरिक एयरपोर्ट की एसपीवी यमुना इंटरनैशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड ने परियोजना के लिए डेवलपमेंट प्लान प्रस्तुत किया है, जिसका परीक्षण किया जा रहा है. कंपनी द्वारा बाउंड्रीवाल और समतलीकरण का कार्य कराया जा रहा है.
29 सितंबर 2024 तक बन जाएगा
बैठक में यह भी अवगत कराया गया कि नोएडा एयरपोर्ट के निर्माण हेतु MoCA द्वारा साइट क्लीयरेन्स तथा गृह मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय द्वारा अनापत्ति प्रमाण पत्र पूर्व में ही निर्गत की जा चुकी है. पर्यावरण क्लीयरेन्स भी MoEFCC द्वारा पूर्व में ही दिया जा चुका है. यह भी अवगत कराया गया कि वन क्लीयरेन्स, सुरक्षा क्लीयरेन्स एवं वित्तीय सहमति तथा डीजीसीए द्वारा भी एयरपोर्ट निर्माण हेतु सहमति प्रदान की जा चुकी है और इस एयरपोर्ट के निर्माण की अवधि तीन वर्ष (01 हजार 95 दिन) नियत की तिथि जो कि 29 सितम्बर 2024 है. एयरपोर्ट निर्माण के सम्बन्ध में Concessionaire और भारत सरकार के मध्य एमओयू भी हस्ताक्षरित किया जा चुका है.