आईपीएल में टीम की फ्रेंचाइजी से तो सब वाकिफ हैं, मगर शायद पहली बार सामने आया है कि सट्टेबाज भी अपनी फ्रेंचाइजी देते हैं. जी हां, सट्टेबाजी का कारोबार भी फ्रेंचाइजी के जरिए होता है. हाल ही में पकड़े गए एक गिरोह के आधार पर पुलिस ने यह खुलासा किया है.
इस मामले में वाराणसी पुलिस को भी बड़ी सफलता मिली है. शनिवार देर शाम की गई छापेमारी में सट्टेबाजी के एक अड्डे से 6.4 लाख रुपये नकदी के अलावा कम्प्यूटर-लैपटॉप और 30 मोबाइल सेट बरामद किये गये.
पुलिस ने मऊ के एक और वाराणसी के नौ सहित कुल दस लोगों को गिरफ्तार किया है, जबकि कुछ अन्य को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है. वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार मिश्र ने बताया कि आरम्भिक जांच में स्पष्ट हुआ है कि सट्टेबाजों का गिरोह काफी समय से सक्रिय था और इसके तार मुंबई, दिल्ली, गुजरात से राजस्थान तक फैले थे. यह गिरोह आईपीएल के फाइनल के लिए करोड़ों का दांव गिरोह लगा चुका था.
एसएसपी को सट्टेबाजी गिरोह के बारे में सूचनाएं मिल रही थी और मामले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी गई थी. कई नबंरों को सर्विलांस पर लेने से स्पष्ट हुआ कि महेन्द्र सिंह गिरोह सट्टा खिलवा रहा है. महेन्द्र देश के दूसरे महानगरों के गिरोहों की फ्रेंचाइजी के रूप में काम कर रहा है. महेन्द्र ने इस काम में अपने दो भाइयों-आदित्य और अंशुमान अग्रवाल को लगा रखा था.
उन्होंने बताया कि मौके से योगेन्द्र अग्रवाल (मऊ), जितेश कुमार, गजेन्द्र कालरा, शिवम सेन, सुरेंद्र सिंह, कमल अग्रवाल, अनुज अग्रवाल, आदित्य अग्रवाल, अंशुमान अग्रवाल, रवि कुमार जायसवाल (सभी वाराणसी) को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है.