भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी राहत मिलती नहीं मिली है. सहारनपुर में जातीय हिंसा के मुख्य आरोपी चंद्रशेखर को बेल मिलने के बाद अब पुलिस ने उसके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत केस दर्ज किया है. यानी अब भी चन्द्रशेखर को जेल में ही रहना पड़ेगा.
चंद्रशेखर को बीते 2 नवंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट की बेंच ने सहारनपुर जातीय हिंसा से जुड़े सभी मामलों में जमानत दी थी. चंद्रशेखर को इस जातीय हिंसा का मुख्य आरोपी बनाया गया था. जेल में बंद चंद्रशेखर ने जमानत के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दी थी, जहां से उसे राहत मिली और सभी केस में मिले गई. मगर जमानत मिलते ही भीम आर्मी के चीफ की मुश्किलें और बढ़ गईं. बेल मिलने के बाद ही उन्हें रासुका के तहत निरुद्ध कर लिया गया.
पुलिस ने बताया कि सहारनपुर के डीएम के आदेश के बाद चन्द्रशेखर के खिलाफ रासुका लगाने की कार्रवाई को पूरा किया गया. इसके बाद जेल में बंद चंद्रशेखर को रासुका के बारे में अवगत करा दिया गया है. साथ ही चन्द्रशेखर के परिजनों को भी इसकी जानकारी दी गई है.
इसी साल जून में जातीय हिंसा मामले में भीम आर्मी मुखिया चंद्रशेखर आजाद को यूपी पुलिस ने हिमाचल के डलहौजी से गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. इसके सिर पर 12 हजार का इनाम घोषित था. जातीय हिंसा के बाद वह सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दे रहा था.
भीम आर्मी का पूरा नाम 'भीम आर्मी भारत एकता मिशन' है. पहली बार अप्रैल 2016 में हुई जातीय हिंसा के बाद भीम आर्मी सुर्खियों में आई थी. दलितों के लिए लड़ाई लड़ने का दावा करने वाले चंद्रशेखर की भीम आर्मी से आसपास के कई दलित युवा जुड़ गए हैं. यूपी सहित देश के सात राज्यों में फैली इस संस्था में करीब 40 हजार सदस्य हैं. चंद्रशेखर के मुताबिक, भीम आर्मी का मकसद दलितों की सुरक्षा और उनका हक दिलवाना है, लेकिन इसके लिए वह हर तरीके को आजमाने का दावा भी करते हैं, जो कानून के खिलाफ भी है.