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भीम आर्मी का आरोप- जेल में 'रावण' को मारने की साजिश?

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद चर्चा में आए भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को मारने की साजिश का आरोप लगाया गया है. ये आरोप पांच महीने पहले चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद गठित 'भीम आर्मी डिफेंस कमेटी' ने लगाए हैं.

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मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान चंद्रशेखर रावण.
मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान चंद्रशेखर रावण.

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उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में जातीय हिंसा भड़कने के बाद चर्चा में आए भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर रावण को मारने की साजिश का आरोप लगाया गया है. ये आरोप पांच महीने पहले चंद्रशेखर की गिरफ्तारी के बाद गठित 'भीम आर्मी डिफेंस कमेटी' ने लगाए हैं. कमेटी ने Aajtak.in से कहा, 'जेल जाने के बाद जिस तरीके चंद्रशेखर की तबियत बिगड़ी है वह सरकार और प्रशासन की बड़ी साजिश का नतीजा है.' हालांकि बीजेपी ने डिफेंस कमेटी के आरोपों को सिरे से खारिज किया है.

कुछ लोग नहीं चाहते बाहर आए रावण

उधर, भीम आर्मी के सहारनपुर जिला उपाध्यक्ष विनोद प्रधान ने कहा, 'जेल जाने से पहले रावण पूरी तरह स्वस्थ्य थे. लेकिन पांच महीने के अंदर सहारनपुर जेल में जिस तरह दिक्कतें हुईं वह इस ओर इशारा करती हैं. हाईकोर्ट से बेल मिलने के तुरंत बाद रावण पर रासुका लगाना भी इसी की कड़ी है.'

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उन्होंने आरोप लगाया, 'बीजेपी सरकार नहीं चाहती कि रावण जेल से बाहर आए. सहारनपुर जेल में सही ट्रीटमेंट नहीं मिलने की वजह से रावण की यह हालत हुई.' बता दें कि शब्बीरपुर जातीय हिंसा के मामले में रावण को हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी, लेकिन बेल के तुरंत बाद सहारनपुर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के रिकमंडेशन पर रासुका लगाए जाने की वजह से रिहाई नहीं हो पाई.

कैसे बीमार हुए थे रावण?

पिछले दिनों सहारनपुर जेल में अचानक रावण की तबियत बिगड़ गई थी. पेट दर्द, उलटी की शिकायत के बाद जेल के डॉक्टरों ने कुछ दिन तक उसका इलाज किया. तबियत में ज्यादा सुधार नहीं होने के बाद ब्लड सैम्पल की जांच की गई तो टायफाइड निकला. फिर जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया था. जांच में उसे टायफाइड होने की पुष्टि हुई थी. जिसके बाद उसका इलाज चल रहा था.

मामले पर बीजेपी का पक्ष

विधायक और प्रदेश प्रवक्ता शलभमणि त्रिपाठी ने डिफेंस कमेटी के आरोपों को बेबुनियाद करार दिया. फोन पर उन्होंने कहा, क़ानून सबके लिए बराबर है. यूपी सरकार किसी रागद्वेष की भावना से काम नहीं कर रही है. जो भी प्रशासन व्यवस्था के आड़े आएगा, संविधान और क़ानून के मुताबिक उसके खिलाफ कार्रवाई होगी. शलभ इस वक्त गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए यूपी से बाहर हैं.

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अब कैसी है रावण की तबियत?

भारी सुरक्षा इंतजाम के बीच इस वक्त रावण मेरठ के मेडिकल कॉलेज में भर्ती हैं. अस्पताल में मौजूद रावण के करीबियों ने बताया, अभी भी उसकी हालत बेहतर नहीं है. ब्लड प्रेशर की शिकायत है. पेट और छाती में इन्फेक्शन है. उन्हें अभी भी लगातार उल्टियां हो रही हैं. हालांकि अस्पताल सूत्रों ने नाम न छापने की शर्त पर आरोपों को खारिज किया है.

क्यों छिपा रहे हैं मेडिकल रिपोर्ट?

उत्तरांचल में भीम आर्मी के प्रभारी महक सिंह ने कहा, हमलोग रावण के रावण को बेहतर इलाज के लिए दिल्ली स्थित एम्स में भर्ती कराना चाहते थे. खराब स्वास्थ्य को देखते हुए प्रशासन से लिखित अनुरोध भी किया गया. लेकिन उसे माना नहीं गया. डिफेंस कमेटी के अनिल यादव ने आरोप लगाया कि आधिकारिक तौर पर रावण की कोई मेडिकल रिपोर्ट मीडिया के साथ नहीं शेयर की गई है. उनके घरवालों को भी कुछ जानकारी नहीं दी गई है. पता नहीं क्या छिपाया जा रहा है.

आज लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस

रावण पर लगे रासुका मामले में रावण की ओर उसका पक्ष रखा जाना है. सरकार को भी रासुका लगाए जाने पर फैसला लेना है. बता दें कि एक्ट के मुताबिक डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट की ओर से किसी शख्स पर रासुका रेकमेंडेशन से 12 से 15 दिनों के अंदर सरकार को इसे जारी रखने पर फैसला लेना होता हैं.

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यूपी पुलिस के पूर्व अफसर एसआर दारापुरी के नेतृत्व में भीम आर्मी डिफेंस कमेटी की ओर से सोमवार को लखनऊ में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई है. इसमें रावण की एम्स में इलाज और उनकी रिहाई का मुद्दा उठाया जाएगा. कमेटी में देशभर से करीब 58 सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी प्रतिनिधि के तौर पर शामिल हैं.

क्या बसपा की वजह से कमजोर पड़ रहा आधार

करीब छह महीने पहले जिस वक्त शब्बीरपुर में जातीय हिंसा भड़की थी, रावण के समर्थन में दलित समाज का एक बड़ा तबका सड़कों पर उतर आया था. हालांकि अब समर्थन का वो हुजूम कमजोर पड़ा है. सूत्रों के मुताबिक इसकी वजह बहुजन समाज पार्टी का अलग रास्ता अख्तियार करना है. सहारनपुर दलित प्रभाव वाला इलाका है जो बसपा का गढ़ भी माना जाता है. नाम न छापने की शर्त पर सूत्र ने बताया, 'रावण के प्रभाव वाले गांवों के हर घर में मायावती की तस्वीरें हैं.बसपा की रणनीतिक चुप्पी ने रावण को उसके अपने प्रभाव वाले इलाकों में कुछ कमजोर किया है.

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