भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद ने बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पर निशाना साधा है. परिवारवाद का जिक्र करते हुए का चंद्रशेखर ने कहा कि कांशीराम चाहते तो वो भी अपनी विरासत अपने परिवार को दे सकते थे. अब बहुजन समाज आपके (मायावती) बहकावे में नहीं आने वाला है.
चंद्रशेखर ने कहा, 'कांशीराम की राजनीति राजकुमार बनाने की नहीं, बल्कि राजकुमारों को, रजवाड़ों को गिराने की थी. पंक्ति में आखिरी में खड़े बहुजन समाज के व्यक्ति को नेता बनाने की थी. चाहते तो वो भी अपनी विरासत अपने परिवार को दे सकते थे. बाकी कहने को ज्यादा कुछ बचा नंही है. बस आकाश आनंद जी को बधाई.'
मा साहेब कांशीराम जी की राजनीति राजकुमार बनाने की नही बल्कि राजकुमारों को,रजवाड़ो को गिराने की थी,पंक्ति में आखिरी में खड़े बहुजन समाज के व्यक्ति को नेता बनाने की थी चाहते तो वो भी अपनी विरासत अपने परिवार को दे सकते थे बाकी कहने को ज्यादा कुछ बचा नही है बस आकाश आनंद जी को बधाई
— Chandra Shekhar Aazad (@BhimArmyChief) June 24, 2019
इसके बाद चंद्रशेखर ने कहा, 'मैंने चुनाव से पहले बार बार कहा था कि प्रमोशन में रिजर्वेशन बिल पर अखिलेश यादव को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए, तब आप चुप रही अब जब चुनाव हार गए तो अब आपको प्रमोशन में रिजर्वेशन बिल याद आ रहा है. बहुजन समाज अब आपके बहकावे में नही आने वाला है.'
असल में, मायावती ने लोकसभा चुनाव नतीजों के पार्टी ढांचे में अहम बदलाव किए हैं. इसके तहत मायावती के भाई आनंद कुमार को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है. वहीं मायावती के भतीजे आकाश आनंद को राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई है. साथ ही पार्टी में राष्ट्रीय स्तर पर दो समन्वयक बनाए गए हैं. मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रामजी गौतम अब राष्ट्रीय समन्वयक की जिम्मेदारी संभालेंगे. दानिश अली को लोकसभा में बीएसपी का नेता बनाया गया है.
भाई और भतीजे को पार्टी में अहम पद दिए जाने के बाद मायावती के परिवारवाद को लेकर आलोचना हो रही है. बीजेपी विपक्ष की अन्य पार्टियों के साथ बसपा को भी एक परिवार की जागिर बता रही है.
वहीं मायावती के इसी कदम पर चंद्रशेखर ने भी सवाल उठाए हैं और कहा कि कांशीराम चाहते तो वो भी अपनी विरासत अपने परिवार को दे सकते थे. अब बहुजन समाज आपके (मायावती) बहकावे में नहीं आने वाला है. चंद्रशेखर ने कहा, 'कांशीराम की राजनीति राजकुमार बनाने की नहीं, बल्कि राजकुमारों को, रजवाड़ों को गिराने की थी. पंक्ति में आखिरी में खड़े बहुजन समाज के व्यक्ति को नेता बनाने की थी.