बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर फिरोज खान की नियुक्ति पर घमासान मचा हुआ है. विश्वविद्यालय के छात्र फिरोज की नियुक्ति के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच बीएचयू के चांसलर जस्टिस गिरधर माल्वीय ने कहा कि छात्रों का कदम गलत है. महामना (BHU के संस्थापक, मदन मोहन मालवीय) की सोच व्यापक थी. यदि वह जीवित होते, तो निश्चित रूप से नियुक्ति का समर्थन करते.
वहीं बीएचयू फिरोज खान की नियुक्ति के फैसले को वापस नहीं लेगा. चीफ प्रॉक्टर ओपी राय ने कहा कि विश्वविद्यालय ने नियमों का पालन किया. फैसला वापस लेने का कोई सवाल नहीं है. छात्रों ने जो किया वो करने का उन्हें अधिकार है.
Justice Giridhar Malviya, Chancellor of BHU on protests against appointment of Prof Firoz Khan in Sanskrit dept: Stand taken by the students is wrong. Mahamana (BHU founder, Madan Mohan Malaviya) had a broad thinking. Had he been alive, he would have certainly backed appointment. pic.twitter.com/IjUvdrt5ix
— ANI UP (@ANINewsUP) November 21, 2019
AMU संस्कृत विभाग के चेयरमैन क्या बोले
फिरोज खान की नियुक्ति पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के संस्कृत विभाग के चेयरमैन ने कहा कहीं न कहीं नियुक्ति के समय बीएचयू चयन समिति से एक चूक हुई है. इसमें कोई शक नहीं है कि फिरोज खान की नियुक्ति साफ ढंग से की गई. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म के शिक्षक को ही धर्मकांड पढ़ाना चाहिए.
क्या है पूरा मामला
दरअसल बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में दो विभाग हैं जिनमें से एक संस्कृत भाषा, हिंदी विभाग के अंतर्गत आता है और दूसरा संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग अलग से बना हुआ विभाग है. इन दोनों में अलग-अलग तरीके की पढ़ाई होती है. संस्कृत विभाग में संस्कृत को भाषा की तरह पढ़ाया जाता है. वहीं, संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान विभाग में सनातन धर्म के रीति-रिवाजों, मंत्रों, श्लोकों, पूजा पाठ के तौर-तरीकों और पूजा पाठ के बारे में बताया जाता है.
छात्रों का कहना है कि कोई मुस्लिम व्यक्ति कैसे हिंदू धर्म के पूजा पाठ के बारे में बता सकता है, पढ़ा सकता है. छात्रों का विरोध इसी बात पर है. उनका कहना है कि संस्कृत को भाषा के तौर पर किसी भी जाति- धर्म के टीचर द्वारा पढ़ाए जाने पर उन्हें कोई ऐतराज नहीं है.
अपनी बात के आधार पर BHU के छात्र कुलपति के आवास के सामने धरना दे रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक प्रोफेसर फिरोज खान को दूसरे विभाग में ट्रांसफर नहीं किया जाता तब तक उनका विरोध जारी रहेगा.