छेड़छाड़ के खिलाफ आंदोलन कर रहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज को लेकर अब एक नया एंगल सामने आया है. वाराणसी के जिलाधिकारी योगेश्वर राम मिश्रा ने कहा है कि बीएचयू के गार्डों की वर्दी यूपी पुलिस के जवानों जैसी होने के चलते कन्फ्यूजन की स्थिति बनी. मिश्रा ने अगले दो दिन में बीएचयू के सुरक्षाकर्मियों की वर्दी बदलने का आदेश दिया है.
जिलाधिकारी के इस दावे के बाद छात्राओं पर लाठीचार्ज का मसला और संगीन नजर आने लगा है. जिलाधिकारी के इस बयान के मायने साफ हैं कि वो पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की बात को हल्का करना चाहते हैं और सारा ठीकरा बीएचयू के खाकी वर्दीधारी गार्ड्स पर फोड़ना चाहते हैं.
अब सवाल खड़े हो रहे हैं कि बीएचयू की छात्राओं पर लाठीचार्ज किसने किया? क्या बीएचयू के 'वर्दी वाले गुंडों' ने मासूम छात्राओं पर लाठियां भांजी? अगर हां तो किसने छात्राओं पर लाठीचार्ज का आदेश दिया?
सवाल ये भी कि अगर बीएचयू के गार्डों ने ही छात्राओं पर लाठियां भांजी तो प्रशासन ने उनके खिलाफ और लाठीचार्ज का आदेश देने वालों के खिलाफ क्या एक्शन लिया. सवाल ये भी कि कहीं जिलाधिकारी, प्रशासन और सरकार की खाल बचाने के लिए तो बीएचयू के गार्डों को बलि का बकरा नहीं बना रहे क्योंकि इस मामले में विपक्ष योगी सरकार को घेर रहा है.
छात्र आंदोलन पर काबू के लिए 25 थानों की पुलिस
बता दें कि शनिवार को बीएचयू परिसर में हिंसा और तनाव की आशंका को देखते हुए प्रशासन ने 25 थानों की पुलिस बुलाई थी. अहिंसक आंदोलन कर रही छात्राओं पर एक बार लाठीचार्ज की कार्रवाई शुरू हुई, तो पुलिस के जवान छात्रावासों में घुस गए और स्टूडेंट्स की पिटाई की. अब सवाल है कि छात्रावासों में घुसकर पिटाई करने वाले वाकई पुलिस के जवान थे या बीएचयू के गार्ड.
कॉलेज में घुसकर हुई मारपीट
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के समय ही छात्र आंदोलन जोर पकड़ने लगा था. आंदोलनकारी छात्रों की योजना थी कि यदि कुलपति उनसे मिलने नहीं आए, तो प्रधानमंत्री के काफिले को रोका जाएगा. इस बात की भनक सिक्योरिटी को लग गई और पीएम का रूट बदल दिया गया. इसके बाद छात्र-छात्राओं ने कुलपति आवास की तरफ रुख किया. यूनिवर्सिटी के सिक्योरिटी गार्ड ने उनको जमकर मारा. महिला कॉलेज में घुसकर मारपीट की गई. पूरा बवाल रात 3 बजे तक चलता रहा.
छावनी बन गया था बीएचयू
छात्रों को काबू में करने के लिए विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन ने बीएचयू को छावनी परिसर में बदल दिया था. 25 थानों की पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को नियंत्रण में लाने के लिए लाठीचार्ज के साथ ही 16 राउंड फायरिंग कर दी. हवाई फायरिंग के साथ ही आंसू गैस के गोले दागे गए. इस बवाल में छात्र-छात्राओं के साथ कई पत्रकारों और पुलिसकर्मियों को चोट आई.