दलित आंदोलन के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भड़की हिंसा के पीछे कौन सी ताकतें थीं, पुलिस-प्रशासन इसकी जांच में जुटे हैं. पुलिस को शक है कि इस प्रदर्शन को हिंसक बनाने में कुछ गैर दलित ताकतों की भूमिका है. मुजफ्फरनगर इलाके में पुलिस कार्रवाई में जुटी है और वीडियो और तस्वीरों को खंगाल कर उपद्रवियों की शिनाख्त कर रही है.
पुलिस के हाथ लगे वीडियो में मुजफ्फरनगर के अंबेडकर हॉस्टल के आंगन में दानिश नाम के एक युवा को देखा गया है. वीडियो में वह दलितों और मुसलमानों को एक साथ लड़ने और प्रदर्शन में हिस्सा लेने की बात करता दिख रहा है. वीडियो की शिनाख्त की जा रही है.
200 लोग हिरासत में
इस घटना को लेकर पुलिस ने 200 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है. सूत्रों की मानें तो पुलिस को भी मुजफ्फरनगर के मंडी थाने में 10 हजार लोगों की भीड़ के जमा होने का अंदेशा नहीं था. पुलिस को शक है कि घटनास्थल पर जानबूझकर हिंसा कराई गई.
पुलिस के शक के कई कारण हैं. सबसे पहला ये कि दूरदराज के गांवों से बड़ी संख्या में ट्रैक्टर-ट्रॉलियों में दलितों की टोली मंडी थाने पहुंची. इसका मतलब ये कि गरीब दलितों को लाने के लिए बकायदा ट्रैक्टर-ट्रॉली मुहैया कराए गए.
हिंसा में गैर दलितों के होने की आशंका
दूसरा ये कि प्रदर्शन के दौरान की कुछ ऐसी तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, जिसमें मुसलमानों को भी प्रदर्शन करते देखा गया. पुलिस की प्राथमिक जांच में गैर दलित हिंदुओं के भी प्रदर्शन में शामिल होने का संदेह है. यह तभी संभव है जब कोई संगठन या सियासी दल इसमें संयोजित तरीके से शामिल हो.
हिंसा में सियासी दल की संलिप्तता को लेकर पुलिस तहकीकात कर रही है. सूत्रों की मानें तो बहुजन समाजवादी पार्टी के कुछ नेता इलाके के दलित संगठनों के संपर्क में थे. पुलिस उनकी भूमिका को लेकर भी जांच कर रही है. मुजफ्फरनगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अनंत देव ने कहा कि हम उपद्रवियों को नहीं छोड़ेंगे और जो दोषी हैं उन पर रासुका लगाने की भी तैयारी हो रही है.
पुलिस की तफ्तीश इस ओर इशारा करती है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ में कुछ गुटों ने अपनी राजनीति चमकाने और इसको आरक्षण खत्म करने से जोड़कर दलितों के मन में जानबूझकर डर पैदा किया.
'बेगुनाहों को आड़े हाथों ले रही पुलिस'
इधर, पुलिस पर कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति करने के आरोप लग रहे हैं. दलित समुदाय का आरोप है कि तिलमिलाई पुलिस आधी रात को दबिश देकर बेगुनाहों को परेशान कर रही है. मुजफ्फरनगर के एक छोटे के टेलर संजय का दो अप्रैल से कोई अता-पता नहीं है. उनकी पत्नी और बेटे सूर्य का रो-रो कर बुरा हाल है. उनका कहना है कि संजय आपने रिश्तेदार सुरेश के साथ धागा, सुई और कपड़ा लेने गए थे, लेकिन पुलिस ने उनको रास्ते से ही उठा लिया.
कुछ ऐसा ही हाल उनके पड़ोसी के घर का भी है. उनकी दोनों बेटियां बेबी और रोशी परेशान हैं. बुधवार सुबह 3 बजे उनके दरवाजे पर दस्तक हुई. खाकी वर्दी में पुलिस वाले घर के भीतर घुस गए और चप्पे-चप्पे की छानबीन करने लगे. बेबी का आरोप है कि पुलिस ने उनके साथ अभद्रता की. बेबी की मां मुजफ्फरनगर की कोतवाली के चक्कर काट रही हैं. लेकिन पिता का कुछ पता नहीं चला.
लोगों के साथ हो रहे उत्पीड़न को लेकर दलित संगठन के वकील वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से भी मिले. वकीलों का कहना है कि पुलिस सुनवाई के मूड में नहीं है और उल्टा उन पर आरोपियों को बचाने का आरोप मढ़ रही है. ऐसे में वह अब कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे. हालांकि, पुलिस का कहना है कि वह सिर्फ सबूतों के आधार पर ही कार्रवाई कर रही है.