यूपी में प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर बड़ी धांधली का खुलासा हुआ है. गोंडा से ऐसी खबरें हैं कि गरीबों और वंचितों के नाम पर कुछ रसूखदारों ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया. गोंडा में हुए इस चौंकाने वाले पर्दाफाश के तार समूचे प्रदेश में जुड़े होने का संदेह है.
इंडिया टुडे के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिनसे पता चलता है कि सूबे में कई अयोग्य लोगों को प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास फंड से रकम दी गई, जबकि वास्तविक और गरीब लोग फंड के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. स्थानीय प्रशासन और निकाय के अधिकारी-कर्मचारी आवास देने के नाम पर रिश्वत मांग रहे हैं.
दस्तावेज में दर्ज जानकारी के मुताबिक, गोंडा जिले में पंडितपुरा दूर-दराज का एक गांव है. 16 प्रखंड और 1000 गांवों वाले गोंडा जिले में तकरीबन 5 लाख की आबादी बसती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'हर व्यक्ति को आवास' वाले ऐलान के साथ ही पंडितपुरा के लोगों को भी आस लगी कि उन्हें पीएम आवास योजना के तहत आसरा जरूर मिलेगा लेकिन यहां लोग तब चौंक गए जब उनके हाथ आवास की एक लिस्ट लगी.
स्थानीय प्रधान और बीडीओ (प्रखंड विकास पदाधिकारी) की ओर से तैयार लिस्ट में उन लोगों के नाम दर्ज थे जिनका पहले से पक्का मकान है. फंड भी मकान वाले लोगों को जारी कर दिए गए. इस बाबत सवाल पूछे जाने पर पंडितपुरा के एक निवासी ने कहा, 'हमें फंड नहीं मिला क्योंकि हमारा नाम लिस्ट में नहीं था. हमारी फरियाद कोई नहीं सुनता क्योंकि हम घूस नहीं दे सकते.'
ऐसी शिकायत महज एक व्यक्ति की नहीं है. कई लोगों ने धांधली की बात उठाई. लोग फंड की आस लगाए बैठे हैं लेकिन सब बेकार साबित हो रहा है. स्थानीय निकाय का साफ-साफ कहना है कि फंड केवल उन्हें मिलेगा जिनका नाम लिस्ट में दर्ज है.
जब इसकी शिकायत लखनऊ में बड़े नेताओं और अधिकारियों से की गई तो मामला कुछ दूसरे रूप में सामने आया. यूपी बीजेपी ने तो सारा कारनामा पिछली सपा सरकार के माथे मढ़ते हुए यह उनकी योजना बताई. प्रदेश बीजेपी के मुताबिक, लिस्ट सपा सरकार ने बनवाई जिसे केंद्र की एनडीए सरकार लॉन्च कर रही है. अखिलेश सरकार की कथित तौर पर कोशिश अपने कार्यकर्ताओं और वोटरों को मदद पहुंचाने की थी.
हालांकि बीजेपी के इन आरोपों को समाजवादी पार्टी ने सिरे से खारिज कर दिया है. सपा का कहना है कि योगी सरकार का काम दूसरी पार्टियों को बदनाम करना है. सपा ने आवास योजना में धांधली को लेकर सीएम योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगा है.
इंडिया टुडे ने जब इस मामले की पड़ताल शुरू की, तो स्थानीय प्रशासन हरकत में आया और यूपी के इस 'बड़े घोटाले' में प्राथमिकी दर्ज की गई. इसकी जानकारी गोंडा के सीडीओ अशोक कुमार ने इंडिया टुडे को दी. प्रशासन के मुताबिक, केवल गोंडा जिले में 2000 से ज्यादा फर्जी मामले सामने आए हैं. सरकार ने चूंकि धांधली के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है और एफआईआर भी दर्ज हो रही है, इसलिए 1500 लोगों ने अपने फंड लौटा दिए हैं.
चौंकाने वाली बात यह है कि पूरे प्रदेश में धांधली पर गौर करें तो फर्जी फंड पाने वालों की संख्या एक लाख के करीब है. इनमें करीब 86 हजार लोगों ने मुकदमे के डर से फंड लौटा दिए हैं. यह जानकारी यूपी के ग्रामीण विकास मंत्री महेंद्र सिंह ने दी. इंडिया टुडे की इस पड़ताल के बाद प्रदेश सरकार ने सूबे में छानबीन शुरू कर दी है ताकि आरोपियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जा सके. इससे यूपी के गरीब लोगों में फिर से आस जगी है कि उनका भी अपना एक मकान होगा.