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यूपी: तीन महीने बाद भी बीजेपी-कांग्रेस नहीं तलाश पाई अपना अध्यक्ष 

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अजय कुमार लल्लू का इस्तीफा हुए तीन महीने से ज्यादा का समय गुजर चुका है, लेकिन अभी तक उनकी जगह नए चेहरे को पार्टी तलाश नहीं कर सकी. वहीं, योगी कैबिनेट में स्वतंत्र देव सिंह के शामिल होने के बाद बीजेपी भी प्रदेश अध्यक्ष के लिए नए चेहरे की तलाश में है, लेकिन जातीय और क्षेत्रीय समीकरण के चलते अभी तक नाम तय नहीं कर सकी.

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स्वतंत्र देव सिंह और अजय कुमार लल्लू
स्वतंत्र देव सिंह और अजय कुमार लल्लू
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अजय लल्लू की जगह कांग्रेस किसे बनाएगी अध्यक्ष?
  • स्वतंत्र देव सिंह का विकल्प बीजेपी नहीं तलाश पाई
  • बीजेपी-कांग्रेस की नजर 2024 के लोकसभा चुनाव पर

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे आए तीन महीने से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियां प्रदेश अध्यक्ष को लेकर ऊहापोह में है. कांग्रेस अभी तक अजय कुमार लल्लू की जगह नया प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना सकी. वहीं, चुनाव नतीजे के बाद योगी कैबिनेट 2.0 में स्वतंत्र देव सिंह के शामिल होने के बाद बीजेपी उनका विकल्प तलाश नहीं सकी. ऐसे में सवाल उठता है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियां नये अध्यक्ष के चयन में क्यों देर कर रही हैं?

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अजय लल्लू का विकल्प कौन बनेगा?

यूपी चुनाव नतीजे के बाद ही अजय कुमार लल्लू ने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था जबकि उनके साथ इस्तीफा देने वाले पंजाब और उत्तराखंड में नए अध्यक्ष नियुक्त कर दिए गए हैं. अजय लल्लू के इस्तीफा देने के तीन महीने के बाद भी कांग्रेस नया अध्यक्ष तलाश नहीं कर सकी है. पिछले तीन दशकों से हार का मुंह देख रही कांग्रेस के सामने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में मजबूत और भरोसेमंद चेहरे की तलाश है, लेकिन कांग्रेस जाति और क्षेत्रीय समीकरणों में उलझी हुई है. इस वजह से वे प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति में देर हो रही है. 

महासचिव प्रियंका गांधी ने अब तक उत्तर प्रदेश में कई प्रयोग किए हैं, लेकिन वे सफल नहीं रहे. 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिर्फ दो सीटें ही जीत सकी है जबकि 2017 के विधानसभा चुनाव में उसके पास सात विधायक थे. 2019 संसदीय चुनाव में कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट आई थी, जबकि 2014 में उसके दो सांसद थे. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपने गढ़ अमेठी में ही हार गई है. कांग्रेस को यूपी में इस बार महज 2 फीसदी वोट मिल सके हैं, जो पार्टी के अब तक इतिहास में सबसे खराब प्रदर्शन रहा. 

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कांग्रेस पीसीसी के लिए लंबी फेहरिश्त

कांग्रेस की वापसी का सारा दारोमदार उत्तर प्रदेश पर ही टिका हुआ है, लेकिन प्रियंका गांधी से करिश्मे की उम्मीद लगाए बैठी कांग्रेस को 2022 में बड़ा झटका लगा. ऐसे में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए कौन सा करिश्माई चेहरा तलाशे, जो सियासी संजीवनी दे सके. पीएल पुनिया से लेकर जनार्दन द्विवेदी, आचार्य प्रमोद कृष्णम, नसीमुद्दीन सिद्दीकी, विधायक वीरेंद्र चौधरी, नदीम जावेद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निर्मल खत्री का नाम चर्चा में है. इसके अलावा चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की संभावना है, जिन्हें सूबे के अलग-अलग जोन की जिम्मेदारी दी जाएगी. फिलहाल कांग्रेस ब्राह्मण और मुस्लिम समीकरण पर फोकस कर रही है, लेकिन भरोसेमंद चेहरा नहीं मिल सका. 

बीजेपी नए अध्यक्ष के नाम पर मंथन में जुटी

यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह के योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद उनकी जगह नए अध्यक्ष की नियुक्ति की जानी है. बीजेपी में एक व्यक्ति और एक पद का फॉर्मूला के तहत तय है कि नए अध्यक्ष की नियुक्ति होनी है. स्वतंत्र देव को मंत्री बने हुए तीन महीने हो रहे हैं, लेकिन पार्टी अभी तक नए अध्यक्ष की तलाश नहीं कर सकी. बीजेपी इस मंथन में जुटी है कि यूपी में संगठन की कमान किसी ब्राह्मण नेता को सौंपी जाए या फिर किसी दलित या ओबीसी को. सूबे में पिछड़ों की आबादी सबसे अधिक है, जिसके चलते किसी पिछड़े को भी अध्यक्ष बनाया जाना विकल्प में है. 

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यूपी के सियासी समीकरण को देखते हुए बीजेपी अपना नया अध्यक्ष नियुक्त करना चाहती है ताकि 2014 और 2019 जैसे नतीजे 2024 में रिपीट किए जा सकें. ऐसे में बीजेपी में कई नामों की चर्चा चल रही है जिनमें ब्राह्मण चेहरे के तौर पर सतीश गौतम, सुब्रत पाठक, महेश शर्मा, हरीश द्विवेदी, श्रीकांत शर्मा, दिनेश शर्मा के नाम की चर्चा है. वहीं, ओबीसी में केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और जालौन से सांसद भानू वर्मा की चर्चा है तो दलित चेहरे के तौर पर विद्यासागर सागर सोनकर और लक्ष्मण आचार्य के नाम के कयास लगाए जा रहें.

उरचुनाव के बाद मिलेगा नया अध्यक्ष

नए अध्यक्ष की नियुक्ति के साथ ही उत्तर प्रदेश से लेकर जिलों तक नई टीम भी बनेगी. संगठन से जुड़े हुए कई नेता योगी सरकार में मंत्री बन गए हैं, जिसके चलते उनकी जगह नए चेहरों को शामिल किया जाना है. ऐसे में बीजेपी को अध्यक्ष से लेकर संगठन के तमाम पदों पर किन चेहरों की नियुक्ति होती है, उसकी प्रतीक्षा है. ऐसे में आजमगढ़ और रामपुर चुनाव के बाद माना जा रहा है कि बीजेपी अपना अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर देगी, क्योंकि 2-3 जुलाई को तेलंगाना में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होनी है. 

बता दें कि देश में सबसे ज्यादा लोकसभा सीटें उत्तर प्रदेश में हैं, जहां 80 संसदीय सीटें है. इस लिहाज से राजनीतकि दलों के लिए यूपी हमेशा अहम माना जाता है. बीजेपी दो बार से केंद्र की सत्ता में काबिज है तो यूपी का उसमें महत्वपूर्ण योगदान रहा है तो कांग्रेस की वापसी का सारा दारोमदार इसी राज्य पर टिका है. 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर सियासत तेज हो गई है, लेकिन उससे पहले सूबे में निकाय चुनाव होने हैं. एक तरह से सभी सियासी दलों के लिए निकाय चुनाव लिटमस टेस्ट माना जा रहा है. 

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सूबे में में भाजपा की सरकार है और उसे कई दशकों से लगातार नगर निकाय चुनावों में सफलता मिल रही है. इसलिए वह एक बार फिर से तैयारी में लगी हुई है. यूपी में नए अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति और उन्हीं नेतृत्व में फिर निकाय और लोकसभा चुनाव लड़े जाएंगे. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति सबसे अहम हो जाती है. राज्य की कमान नए अध्यक्ष को सौंपी जाएगी, तभी नई कार्यकारिणी का गठन होगा और जिलों में भी नई टीम का गठन होगा. ऐसे में देखना है बीजेपी और कांग्रेस संगठन की कमान किसे और कब सौंपती है? 

 

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