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यूपी: महराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनावी इम्तिहान में 'चौधराहट' की अग्निपरीक्षा!

भारतीय जनता पार्टी की सख्त हिदायत है कि उनका कोई सांसद या विधायक अपने किसी परिजन या किसी खास रिश्तेदार को मैदान में नहीं उतार सकता. इस हिदायत के कारण स्थानीय सांसद पंकज चौधरी असमंजस में पड़ गए हैं. क्योंकि वे इस बार जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर अपने बेटे को देखना चाह रहे हैं, लेकिन पार्टी का फरमान उनके इस सपने के खिलाफ है.

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सांसद पंकज चौधरी (फोटो-सोशल मीडिया पंकज चौधरी)
सांसद पंकज चौधरी (फोटो-सोशल मीडिया पंकज चौधरी)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अध्यक्ष पद पर चौधरी परिवार का रहा है कब्जा
  • भाजपा के नए नियमानुसार परिवारवाद को नो एंट्री
  • भाजपा सांसद अपने बेटे को लड़ाना चाहते हैं चुनाव

महराजगंज जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव इस बार दिलचस्प होता दिख रहा है. जिला पंचायत के गठन के बाद से ही चौधरी परिवार के नाम रहा यह पद किसके पास जाता है, ये देखना रोचक होगा. इसके पीछे कारण भारतीय जनता पार्टी की वह सख्त हिदायत है जिसके मुताबिक उनका कोई सांसद या विधायक अपने किसी परिजन या किसी खास रिश्तेदार को मैदान में नहीं उतार सकता है.

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इस हिदायत के कारण स्थानीय सांसद पंकज चौधरी असमंजस में पड़ गए हैं. क्योंकि प्रायः इनके परिवार में रहा यह पद आरक्षण के चलते दूर भी हुआ था तो इनके किसी खास के पास ही गया. बताया जाता है इस बार पंकज चौधरी इस पद पर अपने बेटे को देखना चाह रहे हैं. लेकिन पार्टी का फरमान उनके इस सपने के खिलाफ है.

दरअसल प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संगठन के साथ मिल कर बीते दिसंबर महीने में ही फैसला कर चुके हैं कि पंचायत चुनाव में अब बीजेपी से किसी भी सांसद, विधायक या मंत्री के परिवार का कोई व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकेगा और न ही उसे टिकट दिया जाएगा. भाजपा के अनुसार परिवारवाद की राजनीति को खत्म करने के लिए यह फैसला किया गया है. पार्टी के इसी निर्णय से महराजगंज जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर सांसद पंकज चौधरी की चुनावी रणनीति इस बार अग्निपरीक्षा से गुजर रही है.

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सांसद पंकज चौधरी के बड़े भाई बने थे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष

गोरखपुर जनपद से अलग होकर महराजगंज जिला 2 अक्टूबर 1989 को अस्तित्व में आया था. 1995 में पहली बार जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए चुनाव हुआ. सबसे पहले जिला पंचायत अध्यक्ष के रुप में सांसद पंकज चौधरी के बड़े भाई प्रदीप चौधरी चुनाव में उतरे और उन्हें जीत भी मिली. इसके बाद उनकी माता उज्ज्वला चौधरी लगातार दो बार जिला पंचायत अध्यक्ष रहीं. वर्ष 2010 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का आरक्षण बदला तो सांसद पंकज चौधरी ने अपने विश्वास पात्र धर्मा देवी को चुनावी मैदान में उतारा. सांसद की कुशल चुनावी रणनीति के बदौलत बीजेपी समर्थित धर्मा देवी आसानी से चुनाव जीत गईं.

वर्ष 2015 में जिला पंचायत अध्यक्ष पद की सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुई. तब जिला पंचायत सदस्य के रूप में सांसद पंकज चौधरी ने अपने भतीजे राहुल चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी. जिला पंचायत सदस्य में संख्या बल बीजेपी के पास था. राहुल चौधरी के चुनाव हारने के बाद जिला पंचायत अध्यक्ष के लिए भरोसेमंद सदस्य की तलाश शुरू हुई.

पिछड़े वर्ग के आरक्षण पर जिला पंचायत सदस्य चुन कर आए पार्टी कार्यकर्ताओं में से प्रभुदयाल चौहान पर सांसद पंकज चौधरी व पार्टी ने विश्वास किया. तब प्रदेश में सपा की सत्ता थी. लेकिन सांसद पंकज चौधरी की राजनीतिक रणनीति के चलते प्रभुदयाल चौहान जिला पंचायत अध्यक्ष बन गए, लेकिन कार्यकाल पूरा करने के पहले ही जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभु दयाल चौहान बागी होकर पाला बदल लिए. और बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हो गए.

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पर इससे जिला पंचायत के कार्य पर कोई असर नहीं पड़ा. जिला पंचायत अध्यक्ष प्रभुदयाल चौहान के पॉवर को सीज कर दिया गया. अब त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर सियासी बिगुल बज गया है, लेकिन पार्टी की गाइडलाइन के चलते चौधरी परिवार जिला पंचायत चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोल पा रहा है.

इस बार सांसद के कई भरोसेमंद साथी भी लड़ रहे हैं चुनाव

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को लेकर बीजेपी के अंदरखाने से जो सूचना आ रही है उसे सही माने तो बीजेपी महराजगंज के पदाधिकारी, पार्टी नेतृत्व को यह समझाने में जुटे हुए हैं कि यहां की सीट पर बीजेपी का कब्जा शुरू से ही इसलिए रहा है क्योंकि यहां की चुनावी बागडोर हमेशा से सांसद पंकज चौधरी के हाथ में रही है. जिससे जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में कमल का फूल कभी नहीं मुरझाया.

पार्टी ने समझाने की कोशिश की है कि यहां की लड़ाई को परिवारवाद के रूप में ना देखा जाए, लेकिन अभी तक पार्टी नेतृत्व की तरफ से कोई संकेत नहीं मिला है. जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अनारक्षित होने के बाद से ही, सांसद पंकज चौधरी के परिवार के किसी सदस्य के दमदारी से चुनाव लड़ने का कयास लगाया जा रहा था, लेकिन दूसरे चरण के चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद से ही सांसद का परिवार चुनावी परिदृश्य से गायब है.

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हालांकि सांसद के अति करीबी व प्रतिनिधि जगदीश मिश्रा, जिला पंचायत सदस्य के चुनावी मैदान में उतर चुके हैं. इसे सियासी पंडित प्लान बी का नाम दे रहे हैं. यह कहा जा रहा है कि अगर पार्टी नेतृत्व से परिवारवाद को लेकर कोई ढील नहीं मिली तो जिला पंचायत सदस्य का चुनाव जीतने के बाद जगदीश मिश्रा या उनके जैसा किसी विश्वासपात्र को अध्यक्ष पद के लिए दावेदार बनाया जा सकता है. ऐसे में सबकी निगाह भाजपा की उस सूची की तरफ टिकी हुई हैं जिसमें जिला पंचायत सदस्य पद के प्रत्याशियों की घोषणा होनी है.

 

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