2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लाभार्थी वर्ग BJP के लिए बड़ा ट्रंप साबित हुआ है. वजह यह है कि वंचित वर्ग को केंद्रीय योजनाओं का लाभ देने पर पार्टी ने पूरा जोर लगाया. अब इस नए वोटर वर्ग से 2024 में बीजेपी को बड़ी उम्मीदें हैं. चित्रकूट के प्रशिक्षण वर्ग में बीजेपी का ध्यान नानाजी देशमुख की प्रयोगशाला में लाभार्थी वर्ग को ‘सुविधाओं’ के साथ ‘समरसता ‘ को भी जोड़कर मिशन 2024 का ब्लू प्रिंट तैयार करने पर है.
ज्यादातर योजनाओं का लाभ पाने वाले अनुसूचित जाति और वंचित वर्ग के साथ मुस्लिम पसमांदा समाज पर फोकस का संकेत बीजेपी पहले ही दे चुकी है. ऐसे में पार्टी श्रीराम की तपो भूमि और जनसंघ के नेता रहे नानाजी देशमुख की ‘प्रयोगशाला’ चित्रकूट में इन वर्गों की सुविधा (योजनाओं का लाभ) और समरसता पर मुहर लगा सकती है. नानाजी देशमुख ने ‘दादी का बटुआ’ और ‘मुकदमा विहीन गांव’ का स्वप्न तब साकार कर दिया था, जब बीजेपी एक वर्ग के लिए अछूत मानी जाती थी. खास बात ये भी है कि इसमें कई मुस्लिम बाहुल्य गांव भी शामिल थे.
चित्रकूट के प्रशिक्षण वर्ग में संगठन के पदाधिकारी और सरकार के मंत्री जुटे हैं. विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी की सियासी रणनीति के केंद्र में आए ‘लाभार्थी वर्ग’ को जोड़े रखने के लिए बीजेपी के मूल सिद्धांत और दावे ‘अंत्योदय’ की प्रयोगशाला बनाने वाले नानाजी देशमुख के प्रयोग से भी पार्टी प्रेरणा प्राप्त कर सकती है.
लोकसभा चुनाव और उससे पहले स्थानीय निकाय के चुनाव पर मंथन
चित्रकूट में बीजेपी के तीन दिवसीय प्रशिक्षण वर्ग का आज अंतिम दिन है. इस प्रशिक्षण वर्ग में 2024 के लोकसभा चुनाव और उससे पहले यूपी में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव पर फोकस रहने की उम्मीद जताई जा रही है. हालांकि ये बात भी तय मानी जा रही है कि पार्टी के ‘हर घर तिरंगा‘ अभियान जैसे कार्यक्रमों को लेकर भी चर्चा होगी. चुनाव में पार्टी जिन केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थियों के वोट के सहारे प्रदेश की सत्ता पर दोबारा काबिज हुई, उनको आगे भी जोड़ने और सियासी राह पर उसी रास्ते से दिल्ली तक पहुंचने की कोशिश होगी.
वहीं, संगठन के कार्यों की समीक्षा भी तय है. सोशल मीडिया से लेकर मीडिया तक पर प्रशिक्षण हो रहा है. चर्चा मिशन 2024 की है, पर उससे पहले स्थानीय निकाय के चुनाव भी पार्टी के लिए अहम हैं. चित्रकूट में मंथन से सिर्फ विचार ही नहीं मिलते, बल्कि सियासत का वो रास्ता भी मिलता है, जो सीधे सत्ता तक ले जा सकता है. ये किसी और का नहीं, खुद बीजेपी का अनुभव है. जब भी पार्टी ने यहां मंथन किया, उससे पार्टी को सियासी संजीवनी मिली है. अब, जब चुनावी राजनीति में योजनाओं का लाभ पाने वाले वंचित वर्ग ‘लाभार्थी’ केंद्र में हैं तो इस तपोभूमि का महत्व और बढ़ गया है.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले 2013 यूपी और देश की राजनीति में हाशिए पर पड़ी बीजेपी के यूपी अध्यक्ष लक्ष्मीकान्त वाजपेयी के नेतृत्व में यहां कार्यसमिति की बैठक हुई थी. तब शायद ये किसी ने नहीं सोचा था कि पार्टी को लोकसभा चुनाव में ऐसी सफलता मिलेगी, लेकिन न सिर्फ यहां कार्यसमिति की बैठक हुई, बल्कि बीजेपी सफलता की सीढ़ियां भी चढ़ती चली गई.
अंत्योदय की प्रयोगशाला है चित्रकूट
दरअसल, जनसंघ के संस्थापक सदस्य रहे नानाजी देशमुख ने चित्रकूट को ही अंत्योदय और सामाजिक समरसता की प्रयोगशाला बनाया था. मानिकपुर -चित्रकूट-पाठा के क्षेत्र में गांव में अनुसूचित जाति विशेषकर कोल समाज की बहुलता है, तो वहीं मुस्लिम बहुल भी कई पॉकेट्स हैं. ये वर्ग आर्थिक और सामाजिक रूप से बहुत पिछड़े हैं.
इसी क्षेत्र में नानाजी देशमुख ने न सिर्फ नए कई प्रयोग के जरिये ग्राम सुधार का काम किया, बल्कि यहां के वंचित समाज का जीवन स्तर ऊपर उठाने का काम किया. गांव में चिकित्सा सुविधा के लिए ‘दादी जी का बटुआ’ अभियान चलाया. प्रशिक्षित स्वयंसेवक खुद इस क्षेत्र में पहुंचते थे, जिनके पास एक झोले में सभी सामान्य बीमारियों की दवाएं रहती थीं. धीरे-धीरे गांव के युवाओं को इसमें जोड़ा गया और उनको भी प्रशिक्षित किया गया.
वहीं, गांव को आपसी विश्वास और सहमति से छोटे-छोटे विवाद निपटारे की राह भी नानाजी देशमुख ने दिखाई. कहा जाता है कि उस समय नानाजी के प्रयास से 56 गांव मुकदमा मुक्त हो गए थे, जिसमें ज़्यादातर मुस्लिम बहुल गांव थे. यानी विवाद के लिए कचहरी और पुलिस की जरूरत नहीं पड़ी.
बुंदेलखंड के इस क्षेत्र में महिलाओं को अलग-अलग घरेलू चीजें बनाने से रोजगार भी दिया गया. शिक्षा क्षेत्र में भी कई काम हुए. बुंदेलखंड विकास बोर्ड के सदस्य पवन पुत्र बादल कहते हैं, ‘नानाजी के प्रयास से वहां के गांव को मॉडल गांव बनाने के लिए काम हुआ. यहां के सबसे वंचित लोगों के जीवन स्तर को उठाने के लिए शिक्षा-चिकित्सा पर नानाजी के प्रयास से बहुत काम हुआ.’
लाभार्थी वर्ग के साथ पसमांदा समाज पर भी नजर
पार्टी को यूपी चुनाव में केंद्रीय योजनाओं के लाभार्थी वर्ग से मिला समर्थन बरकरार रहे, इसकी राह पार्टी को तय करनी है. वहीं, योगी सरकार में चर्चा में आए ‘बुलडोजर एक्शन’ से अपराधियों-माफियाओं की सम्पत्ति का ध्वस्तीकरण भी पीड़ित वर्ग को न्याय दिलाने की कवायद के रूप में दिखता है.
सभी धर्मों के धर्मस्थलों से सहमति से लाउडस्पीकर उतारने में निष्पक्षता से कार्रवाई भी नानाजी के ‘मुकदमा निपटारा में सहमति’ के करीब दिखता है. इसीलिए इस मंथन में इस विश्वास को भी मजबूत करने की राह बन सकती है, जो नानाजी के प्रयासों को लेकर सभी धर्मों और जातियों के लोग महसूस करते थे. मुस्लिम पसमांदा समाज को जोड़ने की बीजेपी के रणनीतिकारों की कोशिश भी बीजेपी के लिए खास है.
खास बात ये है कि सामने बड़े लक्ष्य 2024 से पहले इस साल होने वाले स्थानीय निकाय के चुनाव में भी बीजेपी के इस रणनीतिक कौशल और लाभार्थी वर्ग को जोड़ने की परीक्षा होना तय है. बीजेपी शरभंग ऋषि और सुतीक्ष्ण ऋषि की आध्यात्मिक धरा में मंथन कर आगे की राजनीतिक यात्रा के लिए नई शुरुआत कर सकती है. राम को अपनी आस्था का केंद्र और ‘अंत्योदय’ को अपना ‘पॉलिटिकल सिद्धांत’ बताने वाली बीजेपी क्या चित्रकूट की इस तप शक्ति को आत्मसात कर पाएगी, ये महत्वपूर्ण बात है.