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यूपी में सपा-बसपा के कोर वोटरों में सेंध मारेगी बीजेपी, बनाया ये मेगा प्लान

लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव और मायावती मिलकर भी मोदी-शाह के विजय रथ को नहीं रोक सके. सपा-बसपा को करारी शिकस्त देने के बाद अब बीजेपी ने उनके कोर वोट बैंक पर निगाहें गड़ा दी हैं. पार्टी सूबे में जो सदस्यता अभियान चलाएगी, उसमें फोकस बसपा के जाटव और सपा के यादव वोट बैंक पर ज्यादा होगा.

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अखिलेश यादव, मायावती और मुलायम सिंह यादव (फोटो-फाइल)
अखिलेश यादव, मायावती और मुलायम सिंह यादव (फोटो-फाइल)

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लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को करारी मात दी. अखिलेश यादव और मायावती मिलकर भी मोदी-शाह के विजय रथ को नहीं रोक सके. सपा-बसपा को करारी शिकस्त देने के बाद अब बीजेपी ने उनके कोर वोट बैंक पर निगाहें गड़ा दी हैं. पार्टी सूबे में जो सदस्यता अभियान चलाएगी, उसमें फोकस बसपा के जाटव और सपा के यादव वोट बैंक पर ज्यादा होगा. सदस्यता अभियान की शुरुआत जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जन्मदिन 6 जुलाई को होगी.  

बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने aajtak.in से कहा कि सपा ने यादव और बसपा ने जाटव समुदाय के मतदाताओं को वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है. लाभ यादव समुदाय के सैफई कुनबे से जुड़े लोग ही उठाते रहे जबकि गाजीपुर और गोरखपुर का यादव उपेक्षित रहा.

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त्रिपाठी कहते हैं कि बीजेपी ने इस बात को बेहतर तरीके से समझते हुए प्रधानमंत्री आवास योजना हो या फिर उज्ज्वला योजना के तहत गैस या मुफ्त में बिजली कनेक्शन हो बिना फर्क सभी समुदाय को देने का काम किया है. इसमें चाहे यादव समुदाय के लोग हों या फिर जाटव समाज के. इसी का नतीजा है कि वो सारे लोग वोटर के रूप में बीजेपी के साथ लोकसभा चुनाव में जुड़े हैं. ऐसे में हम इन्हें बीजेपी सदस्य और कार्यकर्ता बनाने का प्रयास कर रहे हैं.

बीजेपी मानती है कि यूपी में अच्छे प्रदर्शन के बावजूद अल्पसंख्यक, जाटव और यादव बहुल बूथ पर उसे पर्याप्त वोट नहीं मिले. इन बूथों पर सपा-बसपा का जातीय तंत्र उखाड़ फेंकने के लिए सदस्यता अभियान चलाया जाएगा. 

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में अलग-अलग जातियों के सम्मेलन किए थे. बीजेपी ने यादव समुदाय का भी सम्मलेन लखनऊ में किया था. यही नहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 11 यादवों को टिकट दिया था, जिनमें से 9 जीते भी और योगी सरकार में एक को मंत्रिमंडल में भी शामिल किया गया.

यूपी में यादव समुदाय के 10 फीसदी वोट हैं और जाटव 14 फीसदी हैं. इन मतों के सहारे सपा और बसपा सत्ता पर विराजमान होती रही हैं. हालांकि इस बार के लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा मिलकर भी महज 15 सीटें जीत पाए. इसके बाद मायावती ने आरोप लगाया कि यादव समुदाय ने महागठबंधन को वोट नहीं किया है.  

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मायावती की यह बात यादव समुदाय को बहुत खली है. सपा के नेता भी मान रहे हैं कि इस बार के लोकसभा चुनाव में बसपा के दलित वोट एकमुश्त उन्हें नहीं मिले. इसी का नतीजा है कि बदायूं से धर्मेंद्र यादव, कन्नौज से डिंपल यादव और फिरोजाबाद से अक्षय यादव चुनाव हार गए. सपा-बसपा के बीच पड़ी इस दरार का बीजेपी फायदा उठाना चाहती है.

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