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सपा में गए इन OBC नेताओं पर BJP की नजर, 2024 के चुनाव में निभा सकते हैं अहम भूमिका!

2022 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाकर जिन ओबीसी नेताओं ने समाजवादी पार्टी का दामन थामा था, बीजेपी एक बार फिर उनकी वापसी लिए रास्ते टटोल रही है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे नेताओं के वापसी के लिए हरी झंडी दे दी है.

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पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ
पीएम नरेंद्र मोदी व सीएम योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश में इन दिनों यह चर्चा चल पड़ी है कि बीजेपी ने फिर से पार्टी छोड़कर गए ओबीसी नेताओं को वापस लाने के लिए बैकडोर चैनल खोल दिया है. यानी वह नेता जिन्होंने 2022 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी पर पिछड़ों की उपेक्षा का आरोप लगाकर समाजवादी पार्टी का दामन थामा था, बीजेपी एक बार फिर उनकी वापसी लिए रास्ते टटोल रही है. सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने ऐसे नेताओं के वापसी के लिए हरी झंडी दे दी है. लेकिन अब क्या यह नेता वापस आएंगे? इस पर बड़ा सवाल है.

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सूत्रों के मुताबिक बीजेपी को लगता है कि 2024 लोकसभा चुनावों में अगर दोबारा 70 प्लस सीटें लानी हैं तो ओबीसी नेताओं के बड़े चेहरों को फिर से पार्टी के साथ में लाना होगा. 2019 में सभी बड़े चेहरे चाहे स्वामी प्रसाद मौर्या हों, धर्म सिंह सैनी हों या फिर दारा सिंह चौहान हों, यह सभी नेता बीजेपी के साथ थे और लोकसभा चुनाव में इन्होंने सक्रिय रहकर भूमिका निभाई थी. लेकिन इस बार मामला अलग है. ओबीसी निषाद जाति के लिए बीजेपी के पास संजय निषाद जैसा चेहरा है, लेकिन सैनी, शाक्य, मौर्य चौहान और राजभर, ऐसी बिरादरियों के बड़े चेहरे फिलहाल बीजेपी से बाहर हैं. यही नहीं, बसपा के कई ओबीसी चेहरे राम अचल राजभर, लालजी वर्मा जैसे नेता समाजवादी पार्टी में हैं.

सपा में बड़े ओबीसी चेहरे

अगर बड़े नेताओं की बात की जाए तो ज्यादातर बड़े ओबीसी चेहरे फिलहाल समाजवादी पार्टी में हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य चुनाव हार चुके हैं, लेकिन समाजवादी पार्टी ने उन्हें विधान परिषद में भेजकर अपना नेता बनाया है, जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं से बीजेपी की सांसद हैं. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि देर सवेर स्वामी प्रसाद मौर्य पर ऑपरेशन संभव है, जबकि समाजवादी पार्टी स्वामी प्रसाद मौर्य के बेटी संघमित्रा को 2024 का चुनाव लड़ाना चाहती है.

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उधर, दारा सिंह चौहान, चौहान बिरादरी में बड़े नेता माने जाते हैं. वह विधायक हैं. सरकार नहीं बन पाई, इसलिए अब समाजवादी पार्टी के विधायक के तौर पर हैं.धर्म सिंह सैनी चुनाव हार गए, लेकिन उन्हें कोई और जगह समाजवादी पार्टी में नहीं मिल पाई है. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि इन बड़े नामों को फिर से अपनी तरफ किया जा सकता है. लेकिन यह नेता भी आसानी से बीजेपी के पाले में चले जाएंगे, ऐसा नहीं है.

2024 में बीजेपी को इन नेताओं की जरूरत?

2022 का चुनाव खत्म होते ही बीजेपी के एक बड़े संगठन के नेता ने इन नेताओं से संपर्क साधा था. लेकिन तब बीजेपी को कोई जल्दबाजी नहीं थी, लेकिन अब 2024 के लिए बीजेपी को लगता है इन नेताओं की जरूरत पड़ेगी. चुनाव के बाद से यह सभी ओबीसी नेता बीजेपी पर बहुत ज्यादा हमलावर नहीं हैं. धर्म सिंह सैनी और दारा सिंह चौहान ने बहुत ज्यादा बीजेपी की आलोचना नहीं की है. जबकि स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी बीजेपी के खिलाफ चुनाव के पहले वाले अपने तेवर को कम कर दिया है. ऐसे में यह देखना होगा कि क्या सचमुच इन नेताओं का कोई सॉफ्ट कॉर्नर भी बीजेपी के साथ है या नहीं.

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दरअसल बीजेपी के पास इस वक्त जो ओबीसी का चेहरे हैं, उनमें केशव प्रसाद मौर्य, स्वतंत्र देव सिंह, संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह जैसे लोग हैं. लेकिन स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान और धर्म सिंह सैनी की अपनी बिरादरी में आज भी मजबूत पकड़ है और बीजेपी चाहती है कि प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव में इन नेताओं को वापस लाया जाए. हालांकि आधिकारिक तौर पर न तो बीजेपी ने ऐसी कोई बात की है ना ही इन नेताओं के पास कोई संदेश पहुंचा. लेकिन इस बात की चर्चा ने माहौल को जरूर गर्म कर दिया है कि बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि ओबीसी की यह बड़े नेता वापस आए.

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