उत्तर प्रदेश में मुख्य प्रतिपक्षी दल बसपा ने सत्तारूढ़ सपा और बीजेपी के बीच सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा है कि 2014 में हुए लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में जिस तरीके से सांप्रदायिक
दंगों का दौर चला था, वैसे ही दंगे 2017 के विधानसभा चुनाव के करीब आने पर
होंगे.’ बसपा ने कहा है कि प्रदेश का भाईचारा बिगाड़ने में दोनों दलों की मिलीभगत है,
उन्होंने कहा, ‘शायद यही वजह है कि दादरी मामले में मांस के नमूने की फोरेंसिक जांच रिपोर्ट नहीं ली जा रही.' गौरतलब है कि 28 सितंबर को दादरी के बिसाडा गांव में गौमांस खाने की अफवाह में उग्र भीड़ ने मोहम्मद अखलाक की हत्या कर दी थी. मांस के नमूने जांच के लिए मथुरा की फोरेंसिक प्रयोगशाला में भेजी गयी थी, मगर अभी तक जांच रिपोर्ट हासिल नहीं की गई.
भाजपा-सपा की मिलीभगत
विधानसभा में बसपा और प्रतिपक्ष के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा ‘प्रदेश पुलिस दादरी मामले में यह सुनिश्चित करने के लिए करायी गयी फोरेंसिक जांच रिपोर्ट नहीं ले रही है कि वह सचमुच गौमांस था अथवा नहीं, पुलिस ऐसा इसलिए कर रही है कि वह रिपोर्ट सामने आने पर भाजपा सपा की मिलीभगत उजागर हो जायेगी.’
राजस्थान से शिलायें लाना देशी आतंकवाद का उदाहरण
अयोध्या में विश्व हिन्दू परिषद द्वारा मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से शिलायें लाये जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘जब मामला उच्चतम अदालत में विचाराधीन है. जो ऐसा कर रहे है वे देशी आतंकवादी हैं.’ मौर्य ने कहा, ‘अयोध्या में ट्रकों से लद कर शिलायें पहुंच गयीं, मगर सपा सरकार सोती रही इससे भी साबित होता है कि सपा भाजपा में सांठगांठ है.’ उन्होंने कहा, ‘यदि समाजवादी पार्टी सरकार उच्चतम अदालत का सम्मान करती तो शिलायें वहां कतई न पहुंच पाती.'
सपा है अंदरूनी कलह की शिकार
प्रदेश में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी में कथित अंदरूनी कलह के बारे में बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा, ‘सपा अंदरूनी कलह का शिकार इसलिए है क्योंकि प्रदेश सरकार को चार से पांच मुख्यमंत्री अपने अपने तरीके से चला रहे है. यह बात सैफई महोत्सव में सामने आ गयी.' मौर्य ने यह बात सैफई महोत्सव में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के नहीं जाने और पिछले दिनों पार्टी के कुछ नेताओं को दल से निकाल दिये जाने के बाद राजनीतिक हलकों मे उठी चर्चाओं के बारे में हुए सवाल पर कही. उन्होंने कहा, ‘सपा सरकार की विदाई तो तय है, क्योंकि प्रदेश की जनता ने उसे पाठ पढाने का फैसला कर लिया है और अंदरूनी कलह से यह काम और आसान हो जायेगा.’
बसपा नेता ने कहा कि प्रोन्नति में आरक्षण के मामले में सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की आड़ में अनुसूचित जाति जनजाति के अधिकारियों कर्मचारियों की जिस मनमाने तरीके से पदावनति की जा रही है उसे इस वर्ग के आठ लाख से अधिक कर्मचारियों में उपेक्षा और पक्षपात का शिकार होने का भाव पैदा हो रहा है. उन्होंने कहा कि दलित विरोधी सरकार ने मेरिट पर भी प्रोन्नति पाये अनुसूचित जाति जनजाति के अधिकारियों को पदावनत कर दिया है और यदि सरकार की सामंतवादी मानसिकता के खिलाफ यह कर्मचारी अधिकारी सड़कों पर उतर आये तो जिम्मेदारी सरकार की होगी.
असदुद्दीन औवेसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन पार्टी को राज्य में कार्यक्रम करने की अनुमति देने से प्रदेश सरकार के इनकार के बारे में बसपा नेता ने कहा कि सपा मुखिया स्वयं को 'मुल्ला मुलायम' समझते हैं और किसी अन्य मुसलमान नेता को बर्दाश्त नहीं कर सकते. वे मुस्लिम समर्थक होने का दावा तो करते हैं, मगर हैं नहीं.