बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को रिसालदार पार्क पहुंच कर बौद्ध भिक्षु भंते प्रज्ञानंद के अंतिम दर्शन किए. बीते गुरुवार को ही लखनऊ के केजीएयू अस्पताल में प्रज्ञानंद का निधन हो गया था. उन्होंने ही संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा दी थी.
निधन के बाद प्रज्ञानंद के पार्थिव शरीर को रिसालदार पार्क बुद्ध विहार लखनऊ में बौद्ध उपासकों और बौद्ध अनुयायियों के दर्शनार्थ रखा गया है. भंते प्रज्ञानंद ने बाबा साहेब अंबेडकर को 14 अक्टूबर, 1956 में धर्म-दीक्षा दी थी और उन्हें अंबेडकर गुरु कहा जाता था.
बता दें कि प्रज्ञानंद को सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ के बाद ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था. वहां से उन्हें केजीएमयू के गांधीवार्ड में शिफ्ट किया गया था. वह गांधी वार्ड के आईसीयू में भर्ती थे, उनके फेफड़े में इंफेक्शन था और ब्लड शुगर की समस्या भी थी. 90 वर्षीय प्रज्ञानंद ने गुरुवार सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली. प्रज्ञानंद की देखभाल करने वाले भंते सुमन ने बताया कि वो बीते दो वर्ष से बेड पर थे.
श्रीलंका में जन्मे बौद्ध भिक्षु प्रज्ञानंद 1942 में भारत आ गए थे. बाबा साहेब ने 1948 और 1951 में लखनऊ का दौरा किया था. इसी दौरान उन्होंने प्रज्ञानंद से बौद्ध धर्म अपनाने की इच्छा भी जाहिर की थी. बाद में हिंदू धर्म की कुरीतियों का विरोध करते हुए 14 अक्टूबर 1956 को बाबा साहेब ने पत्नी सहित बौद्ध धर्म अपना लिया था.
नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में बौद्ध भिक्षु चंद्रमणि और प्रज्ञानंद सहित सात अन्य बौद्ध भिक्षुओं ने डॉक्टर अंबेडकर को दीक्षा दिलाई थी. प्रज्ञानंद के निधन के साथ ही अब इनमें से कोई भी जीवित नहीं रहा.