बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों में गठबंधन को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. हालांकि किसी पार्टी का नाम नहीं लिया, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा है कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सम्मानजनक सीटें चाहिए. साथ ही उत्तर प्रदेश में वह गठबंधन का नेतृत्व करना चाहेंगी. यूपी में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की अटकलें लगाई जा रही हैं.
बहरहाल, बसपा के एक बड़े नेता के मुताबिक पार्टी सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को हराने या फिर कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए अपनी राजनीति नहीं करती. अगर कांग्रेस को सचमुच बीजेपी को हराना है तो बसपा की ताकत का अहसास करना होगा और मध्य प्रदेश में 50 सीटों के आसपास पार्टी को देना होगा.
बसपा के इस बड़े नेता ने बताया, 'कांग्रेस मध्य प्रदेश में सिर्फ 25 सीटें देने की बात कर रही है जबकि बसपा ने 60 सीटें मांगी थी. कांग्रेस अगर सचमुच गंभीर है तो उसे हमारी बात माननी चाहिए.' बसपा के इस नेता ने यह भी कहा, 'अगर हम 25 सीट पर गठबंधन कर लेते हैं तो हमारे कार्यकर्ताओं में विद्रोह हो जाएगा क्योंकि सालों की मेहनत के बाद बसपा 0का एक बड़ा कैडर वहां तैयार हुआ है, जो पिछले कई चुनाव से लगातार बड़ी तादाद में पार्टी को वोट करता रहा है. ऐसे में 50 के आसपास हम सीटें चाहते हैं. इससे कम पर कोई समझौता नहीं होगा.'
गठबंधन पर मायावती के इस कड़े रुख के बाद अब यह साफ होता जा रहा है कि सिर्फ बीजेपी को हराने भर का नारा उन्हें लुभाने के लिए काफी नहीं है बल्कि समझौते की मेज पर वह कड़ा सौदा करेंगी.
बता दें कि मायावती ने रविवार को कहा था कि वह गठबंधन के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन वह तभी इसमें शामिल होंगी, जब उनकी पार्टी को उन राज्यों में सम्मानजनक सीटें मिलेंगी, जहां वह कमजोर है. मायावती ने कहा, "अगर ऐसा नहीं होता है तो हम अकेले चुनाव मैदान में उतरेंगे." बसपा कांग्रेस के साथ मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में गठबंधन के लिए बातचीत कर रही है, जहां वह कमजोर खिलाड़ी रही है. सभी तीनों राज्यों में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने हैं.