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अखिलेश से नाता तोड़ा, अब उपचुनाव में मायावती का सहारा 'भाईचारा'

समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए प्लान बनाया है. मायावती ने उपचुनाव जीतने के लिए भाईचारा कमेटी को फिर से मजबूत करने का निर्देश दिया है.

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बसपा प्रमुख मायावती (फोटो-PTI)
बसपा प्रमुख मायावती (फोटो-PTI)

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समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने के बाद बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव के लिए प्लान बनाया है. मायावती ने उपचुनाव जीतने के लिए भाईचारा कमेटी को फिर से मजबूत करने का निर्देश दिया है. सपा के मजबूत माने जाने वाले मुस्लिम वोटबैंक को बसपा ने भाईचारा कमेटी के जरिए साधने की रणनीति बनाई है.  

बसपा अध्यक्ष ने मंगलवार को उपचुनाव की रणनीति बनाने के लिए मंडल स्‍तरीय नेताओं की बैठक बुलाई. इस दौरान पार्टी के सभी पदाधिकारियों के साथ सभी सांसदों और जोनल कोऑर्डिनेटर से भाईचारा कमेटी को मजबूत करने का निर्देश दिया है. खासकर सूबे की जिन इलाकों में विधानसभा के उपचुनाव होने हैं, वहां पर भाईचारा को कमेटी को बनाने के लिए कहा है.

उत्तर प्रदेश में मुस्लिम मतदाता सपा का मजबूत वोट बैंक माने जाते हैं. ऐसे में मायावती बसपा संगठन को मजबूत करने के लिए मुस्लिम समाज को अपनी ओर आकर्षित करने की कवायद में जुट गई हैं. मायावती ने पार्टी नेताओं को बैठक में मुस्लिम मतदाताओं को बीएसपी से ज्यादा से ज्यादा जोड़ने की हिदायत दी है.

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बैठक में बसपा अध्यक्ष ने कहा कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम समुदाय के वोट बड़ी संख्या में हमें मिले. ऐसे में उपचुनाव में मुस्लिम वोटबैंक को और मजबूत करना है, इसके लिए उन्हें पार्टी से भाईचारा कमेटी के जरिए जोड़ा जाए.

बता दें कि पिछले दिनों मायावती ने कहा था कि अखिलेश ने मुझे संदेश भिजवाया कि मुसलमानों को ज्यादा टिकट नहीं दूं. इसके पीछे धार्मिक आधार पर वोटों का ध्रुवीकरण होने का तर्क दिया गया. हालांकि मैंने उनकी बात नहीं मानी. लोकसभा चुनाव में मायावती ने 6 मुस्लिम प्रत्याशी उतारे थे, जिनमें 3 जीतने में सफल रहे. जबकि सपा ने चार मुस्लिम को टिकट दिया था, जिनमें से तीन ने जीत हासिल की है.

सपा-बसपा गठबंधन होने से मुस्लिम मतदाताओं ने बड़ी तादाद में गठबंधन के प्रत्याशी के पक्ष में वोट किया था. मायावती ने भी चुनावी नतीजे के बाद यह बात स्वीकार की थी कि मुस्लिमों ने उन्हें काफी संख्या में वोट किए हैं. यही वजह है कि अब सपा से अलग होने के बाद मायावती मुस्लिम मतदाताओं को अपने साथ साधे रखना चाहती हैं.

बता दें कि उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दौरान 11 विधायक सांसद बन गए. इनमें गोविंदनगर, लखनऊ कैंट, टुंडला, जैदपुर, मानिकपुर, बलहा, गंगोह, इगलास, प्रतापगढ़, रामपुर और जलालपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं.

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इसके अलावा मीरापुर से विधायक अवतार सिंह भड़ाना बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और हमीरपुर से बीजेपी विधायक अशोक चंदेल को हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा होने के बाद उनकी सदस्यता खत्म हो गई है, जिसके चलते इन दोनों सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं. इस तरह से सूबे में कुल 13 सीटें रिक्त हुई हैं, जिन पर उपचुनाव होने हैं.

बसपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपचुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है. बसपा 2010 के बाद पहली बार किसी उपचुनाव में किस्मत आजमाने के लिए उतर रही है. बीएसपी ने अपना आखिरी उपचुनाव 2010 में लड़ा था.

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