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धर्मनिरपेक्ष देश है भारत, कुछ दल अपने फायदे के लिए कर रहे राजनीति: मायावती

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने कहा कि कुछ दल जो अपने निजीस्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. देश में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए.

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बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Courtesy- PTI)
बसपा राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Courtesy- PTI)

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  • मायावती ने कहा- हमें सभी धर्मों का करना चाहिए सम्मान
  • CAA-NRC पर प्रतिक्रिया के दौरान मायावती ने दिया बयान

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने दूसरे राजनीतिक दलों पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कुछ दल जो अपने निजी स्वार्थ के लिए राजनीति कर रहे हैं, उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. साथ ही देश में शांति और सद्भाव बनाए रखा जाना चाहिए.

बसपा अध्यक्ष मायावती का यह बयान उस समय सामने आया है, जब वो नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) पर अपनी बात रख रही थीं. आपको  बता दें कि सीएए और एनआरसी को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं.

कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं. इस कानून को लेकर उत्तर प्रदेश और असम समेत कई राज्यों में हिंसक प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं. इस दौरान कई लोगों की मौत भी हो चुकी है. इन विपक्षी दलों का दावा है कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान और मुसलमानों के खिलाफ है.

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वहीं, मोदी सरकार विपक्षी दलों के इस दावे को सिरे से खारिज करती आ रही है. सरकार का कहना कि नागरिकता संशोधन कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ना के शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है. इससे किसी की नागरिकता नहीं जाएगी.

इससे पहले संसद के दोनों सदनों ने नागरिकता संशोधन कानून को पारित कर दिया है. इस कानून को सबसे पहले लोकसभा में पेश किया गया था और फिर बाद में राज्यसभा में पेश किया गया था. संसद में भी नागरिकता संशोधन कानून पर चर्चा के दौरान जोरदार बहस देखने को मिली थी. हालांकि तमाम विरोधों के बावजूद मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून को संसद से पारित कराने में सफल रही है. राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने और सरकारी गजट में प्रकाशित होने के बाद यह कानून लागू भी हो गया है.

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