बीएसपी प्रमुख मायावती अपनी सियासी ताकत की आजमाइश के लिए रैली करने जा रही हैं. राज्यसभा से इस्तीफा देने के बाद मायावती की पहली रैली 18 सितंबर को मेरठ में होने जा रही है. बीएसपी इस रैली में भीड़ जुटाकर विरोधी दलों को अपनी ताकत का एहसास कराने के साथ-साथ खिसकते जानाधार की बात करने वालों को भी वो मुंहतोड़ जवाब देना चाहती है. यही वजह है कि मायावती इसके लिए अपने मजबूत गढ़ पश्चिम उत्तर प्रदेश को चुना है. इस रैली में मेरठ और सहारनपुर मंडल के लोग शामिल होंगे.
इस्तीफे के बाद माया की पहली रैली
दरअसल पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुई दलित और राजपूत के बीच हिंसा हुई थी. मायावती इस मुद्दे पर राज्यसभा में बोलना चाहती थी, लेकिन उन्हें बोलने का मौका नहीं दिया गया था. मायावती को ये बात इतनी नागवार गुजरी कि उन्होंने राज्यसभा के सदस्य पद से ही इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद उन्होंने रैलियों के जरिए दलित उत्पीढ़न की बात उठाना चाहती हैं. मायावती ने यूपी के सभी मंडलों में हर महीने की 18 तारीख को रैली करने का ऐलान कर दिया. इस कड़ी में पहली रैली 18 सितंबर को मेरठ से शुरू हो रही है.
पश्चिमी UP माया का माना जाता है गढ़
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ही बीएसपी का मजबूत गढ़ माना जाता है. मायावती दलित में जाटव समाज से आती हैं और जाटव समाज की बड़ी आबादी पश्चिमी यूपी में है. पश्चिमी यूपी में दलितों के साथ-साथ मुस्लिमों की भी बड़ी आबादी है. खासकर जिन तीन मंडलों के लोग शामिल हो रही हैं, इनमें मुस्लिमों की करीब 30 से 40 फीसदी आबादी है. ऐसे में मायावती ने अपनी ताकत की आजमाइश के लिए अपने गढ़ को ही चुना है, जहां वो दलित मुस्लिम को एकजुट करके मुंहतोड़ जवाब देना चाहती हैं.
मजबूत संदेश देने की कोशिश
मायावती इस बात को बाखूबी जानती हैं कि पहली रैली उनके दोस्त और दुश्मन दोनों की नजर है. ऐसे में उनकी पहली रैली बाकी की रैली के माहौल को बनाने की भूमिका अदा करेंगी. इसीलिए वह किसी तरह की कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है. इसीलिए उन्होंने अपने गढ़ से हुंकार भरने का फैसला किया है, ताकि बाकी रैलियां भी सफल हो सकें.