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मोदी और मुलायम साजिश में साझेदार, दंगों के जरिए ध्रुवीकरण करवाएंगेः मायावती

उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सबसे पहले समझ लें कि इस पीसी में तथ्यात्मक बातें क्या रहीं. बीएसपी ने यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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मायावती
मायावती

उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. सबसे पहले समझ लें कि इस पीसी में तथ्यात्मक बातें क्या रहीं. बीएसपी ने यूपी की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. सभी कैंडिडेट की लिस्ट आ जारी कर दी. इसके अलावा जहां जहां बीएसपी का संगठन और मशीनरी है, वहां वहां पार्टी चुनाव लड़ेगी. यूपी के बाहर के कैंडिडेट्स की लिस्ट अभी नहीं जारी हुई है. मायावती 22 मार्च से चुनावी रैली संबोधित करना शुरू करेंगी.यूपी में पहली रैली 3 अप्रैल को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में होगी. मायावती की रैली का दौर 9 मई तक चलेगा. यूपी के 80 उम्मीदवारों की बात करें तो इसमें 24 सीटों पर ब्राह्मण, 34 सीटों पर पिछड़े और मुस्लिम कैंडिडेट हैं. 7 महिलाओं को मौका दिया गया है.

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1. अब बात सियासत की. मायावती ने एक बार फिर मुसलमानों पर फोकस किया. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी और मुलायम सिंह यादव ने आपस में मिली भगत कर ली है. इसीलिए दोनों पूर्वांचल की सीटों से चुनाव लड़ने आ रहे हैं. मायावती के मुताबिक सपा-बसपा चाहते हैं कि वोटों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण हो जाए.

2. बीजेपी पर ज्यादा हमलावर रहीं मायावती. उन्होंने यूपीए से भी पहले एनडीए का जिक्र किया. वह बोलीं कि बीएसपी एनडीए को सत्ता में आने से रोकने के लिए पूरा जोर लगा देगी. मायावती बोलीं कि मुद्दे तमाम हैं, मगर अभी ऐसा लग रहा है कि लड़ाई सांप्रदायिकता और धर्म निरपेक्षता के बीच है. मायावती ने यह साफ किया कि बीजेपी के साथ चुनाव बाद भी गठबंधन नहीं होगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी को हम आजमा चुके हैं. लगता नहीं कि उनकी सोच में कोई तब्दीली आई है.

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3. बैलेंस ऑफ पावर. मायावती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका बार बार जिक्र किया. उनका कहना था कि यदि हम इस हैसियत में आए कि सरकार बना पाएं, तो जरूर बनाएंगे. इसके लिए तमाम धर्म निरपेक्ष दलों का सहयोग लिया जाएगा. ये दल कौन होंगे. क्या इसमें कांग्रेस भी हो सकती है, जैसे कई सवालों पर मायावती का एक ही जवाब था. चुनाव परिणाम आने के बाद सूरत तय होगी. पर इतना तय है कि मायावती अपने वोटर्स को साफ संदेश देना चाहती हैं. संदेश कि लॉटरी लग सकती है.

4. यूपीए का विरोध करते हुए मायावती ने बस इतना ही कहा कि उनके राज में गरीबी और महंगाई बढ़ी है. कांग्रेस का जिक्र बड़ा रस्मी सा रहा.

5. हम मेनिफेस्टो जारी नहीं करते. मायावती का यह एक वाक्य उनकी और उनकी पार्टी की राजनीतिक कार्यशैली पर काफी कुछ कहता है. बहरहाल, मायावती ने कहा कि हमने एक लिखित अपील जारी की है. इस अपील में भी सांप्रदायिकता के खिलाफ और सामाजिक सौहार्द्र के पक्ष में सिर्फ मायावती को बताया गया है.

6. मायावती ममता बनर्जी और जयललिता के संपर्क में नहीं हैं. कम से कम सार्वजनिक रूप से तो उनका यही स्टैंड है. मायावती ने कहा कि ये सब चुनाव बाद की बातें हैं.

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7. चुनावी अफवाहों को लेकर मायावती ने सख्त रुख दिखाया. मीडिया को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि मैं अपने वोटरों और सपोर्टरों को उन मीडिया बंधुओं से सावधान करना चाहती हूं तो साजिश के तहत बीएसपी के बारे में गलत बातें प्रचारित करते हैं.

8. मायावती ने साफ किया कि सूत्रों के हवाले से उनके लालगंज सुरक्षित से चुनाव लड़ने की जो खबर चल रही है, वह गलत है. उन्होंने कहा कि वाराणसी से सतीश चंद्र मिश्र और आजमगढ़ से नसीमुद्दीन सिद्दीकी के चुनाव लड़ने की खबर भी अफवाह है. मायावती ने कहा कि इन सीटों पर कैंडिडट पहले ही तय हो चुके हैं और वही रहेंगे.

9. यानी आजमगढ़ में मुलायम को बीएसपी की तरफ से टक्कर देंगे सिटिंग एमएलए शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली. उधर वाराणसी में मोदी के सामने होंगे विजय प्रकाश जायसवाल.

10. आखिर में मायावती ने चुनाव आयोग से अपील की. उन्होंने कहा कि सपा और भाजपा पर निगाह रखने की जरूरत है क्योंकि ये आखिर में दंगों के जरिए ध्रुवीकरण की कोशिश करेंगे.

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