बुदेंलखंड के पिछड़े जिले महोबा में भूखे लोगों तक भोजन पहुंचाने की एक अनोखी मुहीम शुरू हुई है. इस मुहीम का उद्देश्य भोजन के अधिकार को जमीन पर उतारना है. 40 युवाओं द्वारा चलाए जाने वाले इस मुहीम का नाम है 'रोटी बैंक', जिसमें रोज गरीबों को घर का बना खाना खिलाया जाता है.
इस संगठन ने इस मुहिम की शुरुआत भिखारियों और रेलवे स्टेशन पर दिखने वाले गरीबों के साथ की थी. लेकिन अब महोबा के अधिकतर हिस्सों में 'रोटी बैंक' की मुहिम ने रफ्तार पकड़ी है. चाहें अस्पताल के बाहर मरीजों के तामीरदार हों या सड़क पर गरीब, रेलवे स्टेशन पर लोग हों या झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोग. रोटी बैंक सबको खाना उपलब्ध कराने की कोशिश में लगा हुआ है.
टीबी की बीमारी की वजह से काम करने में अक्षम 'रोटी बैंक' के वरिष्ठ कार्यकर्ता राम प्रकाश कहते हैं, 'इन युवा लड़कों को भगवान ने भेजा है. मैं इन लड़कों का अपने दिल से शुक्रिया अदा करता हूं. वे भगवान के बंदे हैं.' इस संगठन ने शहर को आठ सेक्टरों में बांट दिया है. हर सेक्टर से इकट्ठा किया गया खाना एक कॉमन जगह पर रखा जाता है. इसके बाद इसे कार्यकर्ता जरूरतमंदों में बांट देते हैं.
इस अनोखे 'रोटी बैंक' को बुंदेली समाज के वृद्ध लोगों ने शुरु किया था, जिसे अब कई लोगों का समर्थन प्राप्त है. कुछ हलवाई भी इनकी मदद करते हैं. रोटी बैंक की कर्ताधर्ता तारा पाटकर का कहना है, 'हम तब तक ज्यादा आगे नहीं बढ़ना चाहते जब तक कि हम यह सुनिश्चित ना कर लें कि खाना बरबाद नहीं होगा और यह जरूरतमंदों तक पहुंचेगा.'