लखनऊ पुलिस ने शनिवार को उमर राशिद को एक ढाबे से उठा लिया और लखनऊ के हज़रतगंज कोतवाली ले गई. तकरीबन दो घंटे पूछताछ की गई, जबकि पत्रकार ने अपनी संस्था का आईडी कार्ड दिखाया और अपना परिचय भी दिया. उमर के मुताबिक, सब कुछ बताने के बावजूद पुलिस उनके साथ संदिग्ध की तरह पेश आई. उमर राशिद का कहना है कि पुलिस ने उन्हें दो घंटे तक बैठा कर रखा. जब मुख्यमंत्री कार्यालय से फोन आया तो उन्हें छोड़ते हुए माफी मांगी और कहा कि उन्हें कन्फ्यूजन में उठा लिया.
शशि थरूर ने साधा सरकार पर निशाना
उमर के मुताबिक, पुलिसवालों ने हिरासत के दौरान उनको मारने-पीटने और दाढ़ी नोच लेने की धमकी दी. साथ ही गालीगलौच वाली भाषा का भी इस्तेमाल किया. उमर राशिद ने हिरासत में बिताए वक्त की कहानी बयां की है, वो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही है. कई वरिष्ठ पत्रकारों और राजनेताओं ने पुलिस की हरकत की आलोचना की है. कांग्रेसी सांसद शशि थरूर ने ट्वीट करके कहा, 'अगर बीजेपी शासित राज्य में पुलिस ऐसे ही काम करती है तो हम भारतीय लोकतंत्र के हालात का अंदाजा लगा सकते हैं.'
'दी दाढ़ी नोच लेने की धमकी'
उमर राशिद के मुताबिक, लखनऊ पुलिस ने उनके कश्मीरी बैकग्राउंड को लेकर बार-बार सवाल उठाए. उनपर कश्मीरियों को छिपाने का आरोप लगाया और उनसे कहा कि छिपाए गए कश्मीरियों की जानकारी दें. वहीं, उनके साथ पकड़े गए एक सामाजिक कार्यकर्ता की लगातार पिटाई की गई. उमर ने बताया, 'एक अफसर ने मुझे धमकी दी कि अगर मैंने उसके मुताबिक जवाब नहीं दिए तो वह मेरी दाढ़ी नोच लेगा और मेरी पिटाई करेगा. चूंकि, मेरे पास कोई फोन नहीं था, इसलिए मैं उनकी भद्दी बातों को नोट नहीं कर सका, जो उसने मेरे लिए इस्तेमाल कीं.'
'आज इसकी पत्रकारिता ठीक कर देंगे'
उमर के मुताबिक, उनके दोस्त रोबिन वर्मा को पीटने के दौरान पुलिसवालों ने पूछा कि आगजनी में उनका क्या रोल है? बाद में उन्हें सुल्तानगंज पुलिस थाने ले जाया गया. वहां पर एक पुलिसवाले ने कहा, ''आज मैं इन लोगों को ठीक करता हूं. उसमें से कुछ लोग बोले कि आज इसकी पत्रकारिता ठीक करेंगे. मुझे वहां पर एक रूम में रखा गया और मेरी फोटोग्राफी की गई जैसे एक सस्पेक्ट की की जाती है.'